वात पित्त कफ दोष क्या होते हैं? By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाबहम सभी जानते हैं कि मानव शरीर पांच तत्वों से मिलकर बना है। अग्नि, पृथ्वी,जल, वायु और आकाश इन सभी तत्वों का संतुलन बने रहने से शरीर स्वस्थ रहता है। लेकिन इन पांच तत्वों में से किसी एक भी संतुलन बिगड़ने से शरीर में समस्या उत्पन्न होने लगती हैं।वातदोष- वात का संबंध वायु से होता है। आयुर्वेद के अनुसार वात के असंतुलन होने से श्वसन प्रक्रिया, गठिया, फेफड़े से संबंधी रोग, भूलने की बीमारी आदि समस्याएं देखी जाती हैं। जिन लोगों की दिनचर्या नियमित नहीं होती और खाने-पीने का ध्यान नहीं रखते ऐसे लोगों को वात रोग हो सकता है।वातदोष दूर करने के उपाय-1) गर्म दूध में हल्दी मिलाकर सेवन करना चाहिए।2) वात संबंधी समस्याओं के लिए दालचीनी रामबाण का काम करती है । इसका सेवन दूध या दही में मिलाकर किया जा सकता है। दालचीनी पेट की सभी समस्याओं में भी फायदेमंद होती है।3) तांबे के बर्तन में रखा पानी पीना चाहिए। यह वात रोगियों के लिए लाभकारी होता हैं।4) दिनचर्या को नियमित रखें और खाने में पौष्टिक खाद्य पदार्थों का सेवन करें।5) नियमित रूप से व्यायाम करना चाहिए।पित्तदोष- पित्त का संबंध अग्नि से होता है, जब शरीर में गर्मी बढ़ने लगती है तब पित्तरोग संबंधी समस्याएं आती है। इससे पाचन संबंधी समस्या, ज्यादा भूख लगना, होंठ सूखना, ज्यादा पसीना आना, त्वचा पर जलन होना आदि समस्याएं होती है।बाल वनिता महिला आश्रमपित्तदोष दूर करने के उपाय-1) पित्तदोष से बचाव के लिए ठंडी चीजों का सेवन करें।दही,छाछ, कतीरा, आंवला आदि ।2) अजवाइन का प्रयोग पित्तदोष के लिए बहुत फायदेमंद है। दिनभर में थोड़ी सी अजवाइन चबा चबाकर खाएं ।3) अंकुरित अनाज, सलाद,दालें, हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन करें।4) घी का सेवन पित्त रोग में लाभकारी होता है। हो सके तो गाय के घी का सेवन करें।5) रात भर पानी में भीगी हुई किशमिश,अंजीर को खाना पितृदोष के लिए लाभकारी होता है।6) त्रिफला चूर्ण का सेवन करने से पित्तरोग में आराम मिलता है।कफदोष- कफ का संबंध पृथ्वी व जल तत्व से होता है। यह शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता व तरल पदार्थों के स्तर को बनाए रखने में मदद करता है। इसके असंतुलन होने सेथकान,कमजोरी, खांसी,जुकाम पाचन खराब होना,स्वभाव में चिड़चिड़ापन आदि देखा जाता हैं।कफदोष को दूर करने के उपाय-1) कफ की समस्या होने पर दूध और ठंडी चीजों का सेवन करने से बचना चाहिए।2) काली मिर्च, अदरक, दालचीनी का सेवन करें।3) सब्जियों में आलू , मूली, पालक, पनीर खाना चाहिए।4) खाने में नमक का प्रयोग कम करे5) सूर्य नमस्कार, वृक्षासन,शवासन योग कफ दोष को दूर करने में लाभकारी होता है।शरीर को स्वस्थ रखने के लिए वात,पित्त ,कफ का संतुलित रहना आवश्यक हैं।चित्रस्त्रोत- गूगल
हम सभी जानते हैं कि मानव शरीर पांच तत्वों से मिलकर बना है। अग्नि, पृथ्वी,जल, वायु और आकाश इन सभी तत्वों का संतुलन बने रहने से शरीर स्वस्थ रहता है। लेकिन इन पांच तत्वों में से किसी एक भी संतुलन बिगड़ने से शरीर में समस्या उत्पन्न होने लगती हैं।
वातदोष- वात का संबंध वायु से होता है। आयुर्वेद के अनुसार वात के असंतुलन होने से श्वसन प्रक्रिया, गठिया, फेफड़े से संबंधी रोग, भूलने की बीमारी आदि समस्याएं देखी जाती हैं। जिन लोगों की दिनचर्या नियमित नहीं होती और खाने-पीने का ध्यान नहीं रखते ऐसे लोगों को वात रोग हो सकता है।
वातदोष दूर करने के उपाय-
1) गर्म दूध में हल्दी मिलाकर सेवन करना चाहिए।
2) वात संबंधी समस्याओं के लिए दालचीनी रामबाण का काम करती है । इसका सेवन दूध या दही में मिलाकर किया जा सकता है। दालचीनी पेट की सभी समस्याओं में भी फायदेमंद होती है।
3) तांबे के बर्तन में रखा पानी पीना चाहिए। यह वात रोगियों के लिए लाभकारी होता हैं।
4) दिनचर्या को नियमित रखें और खाने में पौष्टिक खाद्य पदार्थों का सेवन करें।
5) नियमित रूप से व्यायाम करना चाहिए।
पित्तदोष- पित्त का संबंध अग्नि से होता है, जब शरीर में गर्मी बढ़ने लगती है तब पित्तरोग संबंधी समस्याएं आती है। इससे पाचन संबंधी समस्या, ज्यादा भूख लगना, होंठ सूखना, ज्यादा पसीना आना, त्वचा पर जलन होना आदि समस्याएं होती है।
पित्तदोष दूर करने के उपाय-
1) पित्तदोष से बचाव के लिए ठंडी चीजों का सेवन करें।दही,छाछ, कतीरा, आंवला आदि ।
2) अजवाइन का प्रयोग पित्तदोष के लिए बहुत फायदेमंद है। दिनभर में थोड़ी सी अजवाइन चबा चबाकर खाएं ।
3) अंकुरित अनाज, सलाद,दालें, हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन करें।
4) घी का सेवन पित्त रोग में लाभकारी होता है। हो सके तो गाय के घी का सेवन करें।
5) रात भर पानी में भीगी हुई किशमिश,अंजीर को खाना पितृदोष के लिए लाभकारी होता है।
6) त्रिफला चूर्ण का सेवन करने से पित्तरोग में आराम मिलता है।
कफदोष- कफ का संबंध पृथ्वी व जल तत्व से होता है। यह शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता व तरल पदार्थों के स्तर को बनाए रखने में मदद करता है। इसके असंतुलन होने सेथकान,कमजोरी, खांसी,जुकाम पाचन खराब होना,स्वभाव में चिड़चिड़ापन आदि देखा जाता हैं।
कफदोष को दूर करने के उपाय-
1) कफ की समस्या होने पर दूध और ठंडी चीजों का सेवन करने से बचना चाहिए।
2) काली मिर्च, अदरक, दालचीनी का सेवन करें।
3) सब्जियों में आलू , मूली, पालक, पनीर खाना चाहिए।
4) खाने में नमक का प्रयोग कम करे
5) सूर्य नमस्कार, वृक्षासन,शवासन योग कफ दोष को दूर करने में लाभकारी होता है।
शरीर को स्वस्थ रखने के लिए वात,पित्त ,कफ का संतुलित रहना आवश्यक हैं।
चित्रस्त्रोत- गूगल
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें