सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

ਘਰੇਲੂ ਇਲਾਜ,

ब्रोंकाइटिस फेफड़ों में बड़ी श्वांस नालियों के भीतरी भाग जिसे ब्रोंकाई कहा जाता है, के सूजन की बीमारी है। इस दौरान सूजन के कारण सामान्य से अधिक बलगम बनता है, जिससे फेफड़ों में वायु प्रवाह अवरुद्ध हो जाता है, इसके कारण फेफड़े क्षतिग्रस्त हो सकते हैं।


ब्रोंकाइटिस को मैनेज करने के लिए डॉक्टर से उपचार करवाना ज़रूरी होता है। लेकिन इसमें एक बड़ा हाथ सही जीवनशैली का भी होता है। और सही जीवनशैली का एक बड़ा हिस्सा है सही खान-पान। तो इस लेख में बताया गया है कि अगर आपको ब्रोंकाइटिस की है तो आपको क्या खाना चाहिए और क्या नहीं। आइए जानते हैं ब्रोंकाइटिस के लिए भारतीय डाइट और आहार।

(और पढ़ें - ब्रोंकाइटिस के घरेलू उपाय)

 

ब्रोंकाइटिस में क्या खाना चाहिए

उपरोक्त लक्षणों के अनुसार, आहार में कुछ बदलाव करके उन लक्षणों पर नियंत्रण पाया जा सकता है, आइए जानते हैं कैसे :

1. ऊर्जा से भरपूर भोजन करें

हमारे शरीर को ऊर्जा हमारे भोजन में मौजूद पोषक तत्वों यानी कार्बोहाइड्रेटप्रोटीन एवं फैट से मिलती है और उसी पर हमारे शरीर के विषाक्त पदार्थ जैसे कि कार्बन डाई ऑक्साइड भी निर्भर करते हैं। जब हम सांस बाहर की ओर छोड़ते है, तब शरीर से कार्बन डाई ऑक्साइड को बाहर निकाल पाते हैं। इस समस्या के दौरान जैसा कि सांस लेने में तकलीफ होती है, बहुत सारी मात्रा में कार्बन डाई ऑक्साइड शरीर में इकट्ठा हो जाती है, जिससे आप काफी थका हुआ एवं कमजोर महसूस करने लगते हैं। ऐसे में बुखार, कमजोरी एवं सांस की तकलीफ के कारण शरीर में ऊर्जा की आवश्यकता काफी बढ़ जाती है एवं ज्यादा ऊर्जा वाले आहार का सेवन करके स्थिति को सुधारा जा सकता है। ऐसे में अपने स्नैक्स के समय घर के बने लड्डू, चिक्की, खीर, पनीर, सैंडविच, कस्टर्ड आदि का सेवन कर सकते हैं।

2. पर्याप्त मात्रा में पानी का सेवन करें

पूरे दिन थोड़ी-थोड़ी मात्रा में पानी पीते रहें। इस पानी को आप 6-8 गिलास तक पीने की कोशिश करें। यह फेफड़ों में इकट्ठा हुए म्यूकस को पतला करने एवं निकालने में मदद करता है। कैफीन युक्त पेय पदार्थ शरीर में पानी की मात्रा कम कर देते हैं, उनके सेवन से बचें। इसके लिए कार्बोनेटेड ड्रिंक्स (कोल्ड ड्रिंक्स) जैसे कि चॉकलेट का सेवन ना करें। यह आपकी दवाओं के कार्य को प्रभावित कर सकते हैं।

(और पढ़ें - पानी कैसे पीना चाहिए)

3. ज्यादा प्रोटीन वाले आहार लें

बुखार एवं सांस में तकलीफ के कारण, शरीर में मांसपेशियों की कमी एवं ऊर्जा में भी कमी देखी जाती है। ऐसे में प्रोटीन से भरपूर आहार ऊर्जा की मात्रा को ठीक बनाए रखने एवं मांसपेशियों को दोबारा से बनाने मदद कर सकते हैं। ऐसे में अपने हर आहार में एक प्रोटीन वाली वस्तु अवश्य लें। जैसे कि नाश्ते में अंडा, लंच में दाल, डिनर में पानी एवं स्नैक्स में सूखे मेवे का सेवन कर सकते हैं।

(और पढ़ें - प्रोटीन युक्त भारतीय आहार)

4. एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर हो डाइट

एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर डाइट शरीर को इन्फेक्शन से लड़ने के लिए मजबूत बनाते हैं। इस समस्या के दौरान इन्फेक्शन बढ़ने पर, अस्पताल जाने की भी नौबत आ जाती है। इसी कारण से, डाइट में एंटीऑक्सीडेंट का होना आवश्यक है। इसके लिए विटामिन एविटामिन ईओमेगा3 फैटी एसिड एवं जिंक आदि से भरपूर भोजन करें। सभी रंग के फलों एवं सब्जियों का सेवन करें, इसके साथ ही अंडे, वसा युक्त मछली, सूखे मेवे आदि का सेवन कर सकते है।

5. नमक का उपयोग नियंत्रित मात्रा में करें

ज्यादा मात्रा में नमक का उपयोग, शरीर में पानी का संग्रहण बढ़ा देता है (जो कि इस समस्या के दौरान काफी ज्यादा देखी जाती है), जिससे सांस लेने में तकलीफ बढ़ जाती है। कुछ आसान उपायों से आप अपने नमक/सोडियम की मात्रा को नियंत्रित कर सकते हैं, जैसे कि : 

(और पढ़ें - पेट में पानी भरने के कारण)

खाने में ऊपर से नमक की जगह, हर्ब्स जैसे कि ऑरेगैनोकाली मिर्च आदि का सेवन कर सकते हैं

  • खाने में ऊपर से नमक ना लें
  • खाने में अचारपापड़, नमकीन के सेवन से परहेज करें
  • न्यूट्रिशन लेबल पढ़कर ही पैकेट वाली चीजें खरीदें, लो सोडियम का ही उपयोग करें
  • नमक के सब्स्टीट्यूट को लेने से पहले, डॉक्टर से सलाह अवश्य लें

6. खट्टे फलों का उपयोग करें

खट्टे फल विटामिन सी का काफी अच्छा स्रोत होते हैं। ये इम्यूनिटी को बढ़ाने, इन्फेक्शन को खत्म करने का काम करते हैं। 1 से 2 खट्टे फलों (नींबूसंतराचकोतराआंवला आदि) का रोजाना सेवन करें।

(और पढ़ें - रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के उपाय)

ब्रोंकाइटिस के लिए भारतीय डाइट चार्ट

ऊपर बताये गए टिप्स के आलावा अगर आप एक नियमित डाइट चार्ट का पालन करते हैं तो ब्रोंकाइटिस को मैनेज करने में सहायते मिलेगी। ऐसा ही एक भारतीय आहार युक्त डाइट चार्ट ब्रोंकाइटिस पेशेंट्स के लिए यहाँ दिया गया है -

  • सुबह खाली पेट - गर्म पानी (1 गिलास) + बादाम (8-10) + अखरोट (4-6)
  • सुबह का नाश्ता - पनीर और मूंग दाल चीला (2) + हरी चटनी (2 चम्मच)
  • मध्य आहार -  सेब (1 छोटा) / हर्बल काढ़ा (1 कप)
  • दोपहर का खाना- चपाती (2) / चावल (1 कटोरी) + कढ़ी (1 कटोरी) + लौकी का कोफ्ता (1 कटोरी)
  • शाम की चाय - हल्दी की चाय (1 कप) + भूने मखाने (1 कटोरी) / उबले अंडे (2)
  • रात का खाना - वेजिटेबल सूप (1 कटोरी) + मिक्स्ड वेज पराठा (2) + पनीर की सब्जी / चिकन करी (1 कटोरी)
  • सोते समय -  हल्दी वाला दूध (1 कप)

(और पढ़ें - लेमन ग्रास चाय के फायदे)

ब्रोंकाइटिस में क्या नहीं खाना चाहिए और परहेज

अगर आपको ब्रोंकाइटिस है तो आपको यह तो पता क्या खाना चाहिए, साथ ही यह भी पता होना चाहिए कि क्या नहीं खाना चाहिए।

यह कुछ चीज़ें हैं जिनसे आपको ब्रोंकाइटिस में परहेज करना चाहिए -

  • कैफीन युक्त पेय पदार्थो का सेवन ना करें, जैसे - कॉफीचाय, सॉफ्ट ड्रिंक, एनर्जी ड्रिंक आदि
  • अपने आहार में चीनी व आसानी से ऊर्जा देने वाले कार्बोहाइड्रेट का कम से कम इस्तेमाल करें एवं प्रोटीन अच्छी मात्रा में लें
  • एक बारे में ज़्यादा न खाएं (छोटे-छोटे आहार लें, लम्बा गैप ना करें)
  • धूम्रपान की आदत इस बीमारी लक्षणों को बिगाड़ सकती है, इसे जल्द से जल्द छोड़ दें (और पढ़ें - सिगरेट छोड़ने के तरीके)
  • अल्कोहल के सेवन से शरीर में पानी की कमी हो सकती है, जिससे म्यूकस और ज्यादा गाढ़ा हो सकता है एवं बीमारी की स्थिति और खराब हो सकती है
  • हल्की-फुल्की एक्सरसाइज करते रहें, जिससे भूख भी अच्छे से लगे
 

ब्रोंकाइटिस के लिए आयुर्वेदिक डाइट टिप्स

मॉडर्न विज्ञान के आलावा आयुर्वेद में भी ब्रोंकाइटिस जैसे श्वसन रोग से निपटने के लिए कई आहार सम्बंधित सुझाव दिए गए हैं। आप इन्हे अभी आज़माकर देखें, अवश्य लाभ होगा। 

1. अदरक एवं शहद

  • क्यों करें उपयोग - अदरक या सोंठ का सेवन, अपने एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों के कारण ब्रोन्कियल ट्यूब की सूजन को कम करने में मदद करता है।
  • कैसे करें उपयोग - 2 इंच के अदरक को कद्दूकस करके गर्म कर लें एवं उसमें 1 चम्मच शहद डालकर गर्मागर्म ही सेवन करें।

(और पढ़ें - शहद और लहसुन के फायदे)

2. हल्दी की चाय 

  • क्यों करें उपयोग - हल्दी को प्राचीन काल से किसी भी संक्रमण के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। आज के समय में यह अपने एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर गुणों के लिए जानी जाती है, जो कि ब्रोंकाइटिस के दौरान हुई आंतरिक सूजन को कम करने मदद करती है. यदि इसका सेवन गर्म पेय की भांति करें, तो यह म्यूकस को भी पतला करके निकलने में मदद करती है।
  • कैसे करें उपयोग - 250 एमएल पानी एवं आधा चम्मच हल्दी पाउडर को साथ में उबालें एवं आधा रह जाने पर 1 चम्मच शहद मिलाकर गर्मागर्म चाय की तरह सेवन करें।

3. कच्चा लहसुन

  • क्यों करें उपयोग - लहसुन पुराने समय से दवा की तरह खांसी, जुकाम एवं म्यूकस को पतला करके निकालने के लिए जाना जाता है। कई स्टडीज से इसके एंटीबैक्टीरियल, एंटीवायरल एवं एंटीफंगल गुणों के बारे में पता चला है।
  • कैसे करें उपयोग - 1 लहसुन की कली का सुबह खाली पेट गर्म पानी के साथ सेवन करें। इसके अलावा, पूरे दिन चटनी की तरह इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।

(और पढ़ें - खाली पेट लहसुन खाने के फायदे)

4. गिलोय काढ़ा

  • क्यों करें उपयोग - गिलोय को संस्कृत में अमृता नाम से भी जाना जाता है। यह औषधि, शरीर से विषाक्त पदार्थ निकालने, रक्त को साफ करने एवं इंफेक्शन को कम करने के लिए जानी जाती है।
  • कैसे करें उपयोग - 250 एमएल पानी एवं 1 बड़ा चम्मच गिलोय पाउडर, आधा चम्मच हल्दी पाउडर, आधा चम्मच कूटी हुई काली मिर्च एवं आधे इंच कद्दूकस किए अदरक को उबालें। जब पानी आधा रह जाए तो छानकर 1 चम्मच शहद मिलाकर इसका सेवन करें।

5. हर्बल काढ़ा

  • क्यों करें उपयोग - कुछ मसाले एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर एवं अपने औषधीय गुणों लिए जाने जाते हैं, जो कि म्यूकस को पतला करने एवं इन्फेक्शन से लड़ने के लिए फायदेमंद साबित होते हैं।
  • कैसे करें उपयोग - 250 एमएल पानी आधा चम्मच हल्दी पाउडर, आधा चम्मच कूटी काली मिर्च एवं आधे इंच कद्दूकस किए अदरक एवं 7-10 तुलसी पत्तों को उबालें। जब पानी आधा रह जाए तो फिर छानकर 1 चम्मच शहद मिलाकर इसका सेवन करें।

(और पढ़ें - तुलसी के नुकसान)

इनके आलावा यह कुछ अन्य डाइट टिप्स हैं ब्रोंकाइटिस पेशेंट्स के लिए -

  • इस समस्या के दौरान काफी थकान हो जाती है, ऐसे में अपने भोजन एवं अन्य कार्यों के लिए परिवार में किसी की मदद ले सकते है
  • अपने भोजन से पहले थोड़ा आराम कर लें, जिससे थकान ना हो एवं भोजन का पूरा आनंद उठा सकें (और पढ़ें - थकान दूर करने के उपाय)
  • अपनी ज्यादा ऊर्जा वाली डाइट को दिन के समय ही ले लें, जिससे पूरे दिन के लिए ऊर्जा बनी रहे

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

पान खाने के क्या 5 लाभ By वनिता कासनियां पंजाब ?Paan Ke Fayde: आयुर्वेद, चरक संहिता, सुश्रुत संहिता आदि में पान के पत्ते को काफी स्वास्थ्यवर्धक बताया गया है. पुराने समय में राजा-महाराजा हर रात खाना खाने के बाद पान चबाना पसंद करते थे. पान के सेवन से शादीशुदा पुरुषों को कमाल के फायदे मिलते हैं. यह उनकी सेक्शुअल हेल्थ के लिए लौंग, सौंफ या इलायची के नुस्खों से बहुत ही ज्यादा कारगर उपाय साबित होता है. लेकिन पान के फायदे (Paan Ka Patta) और भी बहुत होते हैं.पान के पत्ते के फायदे (Benefits of Betel Leaf)देश में आयुर्वेद के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे आयुर्वेदिक एक्सपर्ट डॉ. अबरार मुल्तानी ने पान के पत्ते को स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक बताता है. यह हृदय के लिए बेहतरीन टॉनिक का भी काम करता है. उनके मुताबिक, इसमें एंटी-डायबिटिक, एंटी-इंफ्लामेटरी, एंटी-इंफेक्टिव, एंटी-सेप्टिक और दुर्गंध दूर करने वाले गुण होते हैं. इसके साथ इसमें सौंफ, सुपारी, इलायची, लौंग व गुलकंद मिलाने से यौन स्वास्थ्य को मजबूती भी मिलती है.1. पुरुषों के लिए लौंग, सौंफ या इलायची से बहुत ज्यादा गुणकारी है 1 पानआयुर्वेदिक एक्सपर्ट के मुताबिक, 1 पान खाने से पुरुषों की सेक्शुअल लाइफ को चमत्कारिक फायदे प्राप्त होते हैं. यह लौंग, सौंफ या इलायची के किसी भी नुस्खे से बहुत ज्यादा असरदार होता है. क्योंकि, इसमें आपको इन चीजों के साथ गुलकंद और सुपारी भी मिलती हैं. पान के साथ यह सभी चीजें शादीशुदा पुरुषों के यौन स्वास्थ्य के लिए बहुत ज्यादा प्रभावशाली हो जाती हैं. इससे पुरुषों में कामेच्छा में कमी (लिबिडो), , टेस्टोस्टेरोन में कमी, आदि सुधर जाता है.2. कब्ज से राहत दिलाता है पानआयुर्वेद में कब्ज के इलाज के लिए पान को काफी असरदार बताया गया है. यह शरीर में पीएच लेवल को सामान्य बनाता है और पेट की परेशानी से राहत प्रदान करता है. इसके लिए आप पान के पत्ते के टुकड़े करके एक गिलास पानी में डालकर रातभर रख दें. यह पानी अगली सुबह खाली पेट पी लें.3. कटने, खुजली व जलन से राहतडॉ. अबरार मुल्तानी का कहना है कि अगर किसी चीज से कटने, खुजली व जलन के कारण आपको समस्या हो रही है, तो आप पान के पत्ते का उपयोग कर सकते हैं. इसके एनलजेसिक गुण तुरंत राहत प्रदान करते हैं. इसके लिए पान के पत्ते का पेस्ट बनाएं और प्रभावित जगह पर लगाएं. यह त्वचा के अंदर जाकर दर्द व जलन से राहत दिलाता है.4. संक्रमण या सेप्टिक से राहतपान के पत्ते में एंटी-सेप्टिक व एंटी-फंगल गुण होते हैं, जो फंगल इंफेक्शन व सेप्टिक होने से राहत देते हैं| इसके लिए आपको पान के पत्ते का पेस्ट प्रभावित जगह पर लगाना होता है| पान के पत्ते का उपयोग जोड़ों के दर्द से राहत पाने के लिए भी किया जाता है|5. मुंह की दुर्गंध के लिए पानपान खाने से मुंह की दुर्गंध दूर होती है| इसमें काफी मात्रा में एंटी-माइक्रोबियल गुण होते हैं, जो मुंह की दुर्गंध का कारण बनने वाले बैक्टीरिया का खात्मा कर देते हैं. इसके अलावा यह दांतों में होने वाली कैविटी, प्लेक, सड़न, सूजन, दर्द आदि से भी राहत देता है| राजा-महाराजा अपना यौन स्वास्थ्य सुधारने के साथ मुंह की दुर्गंध भागने के लिए भी हर रात खाना खाने के बाद पान चबाना पसंद करते थे|यहां दी गई जानकारी किसी भी चिकित्सीय सलाह का विकल्प नहीं है| यह सिर्फ शिक्षित करने के उद्देश्य से दी जा रही है|

पान खाने के क्या 5 लाभ  By वनिता कासनियां पंजाब ? Paan Ke Fayde:  आयुर्वेद, चरक संहिता, सुश्रुत संहिता आदि में पान के पत्ते को काफी स्वास्थ्यवर्धक बताया गया है. पुराने समय में राजा-महाराजा हर रात खाना खाने के बाद पान चबाना पसंद करते थे. पान के सेवन से शादीशुदा पुरुषों को कमाल के फायदे मिलते हैं. यह उनकी सेक्शुअल हेल्थ के लिए लौंग, सौंफ या इलायची के नुस्खों से बहुत ही ज्यादा कारगर उपाय साबित होता है. लेकिन पान के फायदे (Paan Ka Patta) और भी बहुत होते हैं. पान के पत्ते के फायदे (Benefits of Betel Leaf) देश में आयुर्वेद के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे आयुर्वेदिक एक्सपर्ट डॉ. अबरार मुल्तानी ने पान के पत्ते को स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक बताता है. यह हृदय के लिए बेहतरीन टॉनिक का भी काम करता है. उनके मुताबिक, इसमें एंटी-डायबिटिक, एंटी-इंफ्लामेटरी, एंटी-इंफेक्टिव, एंटी-सेप्टिक और दुर्गंध दूर करने वाले गुण होते हैं. इसके साथ इसमें सौंफ, सुपारी, इलायची, लौंग व गुलकंद मिलाने से यौन स्वास्थ्य को मजबूती भी मिलती है. 1. पुरुषों के लिए लौंग, सौंफ या इलायची से बहुत ज्यादा ग...

हृदय रोग का सरल और आसान आयुर्वेदिक इलाज By वनिता कासनियां पंजाब'परिचय आयुर्वेद के अनुसार, हृदय रोग तीन दोषों के असंतुलन के कारण होता है: वात, पित्त और कफ। हृदय रोग के लिए आयुर्वेदिक उपचार आहार परिवर्तन, जीवनशैली में बदलाव और हर्बल सप्लीमेंट के संयोजन का उपयोग करके इस संतुलन को बहाल करने पर केंद्रित है।हृदय रोग क्या है?हृदय रोग एक सामान्य शब्द है जिसका उपयोग हृदय को प्रभावित करने वाली विभिन्न स्थितियों का वर्णन करने के लिए किया जाता है। हृदय रोग को अक्सर हृदय रोग शब्द के साथ परस्पर उपयोग किया जाता है, जो उन स्थितियों को संदर्भित करता है जिनमें संकुचित या अवरुद्ध रक्त वाहिकाएं शामिल होती हैं जो दिल का दौरा, सीने में दर्द या स्ट्रोक का कारण बन सकती हैं।हृदय रोग कई प्रकार के होते हैं, और प्रत्येक के अपने लक्षण और उपचार होते हैं। जीवनशैली में बदलाव से हृदय रोग के कुछ रूपों को रोका जा सकता है, जैसे स्वस्थ आहार खाना, नियमित व्यायाम करना और तंबाकू के सेवन से बचना। हृदय रोग के अन्य रूपों में चिकित्सा उपचार की आवश्यकता होती है।आयुर्वेद भारत की एक प्राचीन चिकित्सा प्रणाली है जो स्वास्थ्य के लिए समग्र दृष्टिकोण का उपयोग करती है। आयुर्वेदिक चिकित्सकों का मानना ​​है कि अच्छा स्वास्थ्य मन, शरीर और आत्मा के संतुलन पर निर्भर करता है।हृदय रोग के इलाज के लिए आयुर्वेद का अपना अनूठा तरीका है। आयुर्वेदिक चिकित्सकों का मानना ​​है कि हृदय रोग शरीर के तीन दोषों: वात, पित्त और कफ में असंतुलन के कारण होता है। ये असंतुलन तनाव, खराब आहार, पर्यावरण में विषाक्त पदार्थों और आनुवंशिकी जैसे कारकों के कारण हो सकते हैं।हृदय रोग के लिए आयुर्वेदिक उपचार शरीर में संतुलन बहाल करने पर केंद्रित है।हृदय रोग का आयुर्वेदिक इलाजहृदय रोग के लिए कई सरल और आसान आयुर्वेदिक उपचार हैं। इनमें से कुछ में शामिल हैं:1. तुलसी: तुलसी एक भारतीय जड़ी बूटी है जिसे हृदय रोग के इलाज में बहुत प्रभावी दिखाया गया है। यह रक्त में कोलेस्ट्रॉल, ट्राइग्लिसराइड्स और एलडीएल के स्तर को कम करने में मदद करता है। यह परिसंचरण में सुधार और थक्के के गठन को रोकने में भी मदद करता है।2. लहसुन: लहसुन एक और जड़ी बूटी है जो हृदय रोग के इलाज में बहुत प्रभावी है. यह रक्त में कोलेस्ट्रॉल, ट्राइग्लिसराइड्स और एलडीएल के स्तर को कम करने में मदद करता है। यह परिसंचरण में सुधार और थक्के के गठन को रोकने में भी मदद करता है।3. गुग्गुल: गुग्गुल एक भारतीय जड़ी बूटी है जिसे हृदय रोग के इलाज में बहुत प्रभावी दिखाया गया है। यह रक्त में कोलेस्ट्रॉल, ट्राइग्लिसराइड्स और एलडीएल के स्तर को कम करने में मदद करता है। यह परिसंचरण में सुधार और थक्के के गठन को रोकने में भी मदद करता है।4. अदरक: अदरक एक और जड़ी बूटी है जो हृदय रोग के इलाज में बहुत प्रभावी है. यह परिसंचरण में सुधार, सूजन को कम करने और थक्कों के गठन को रोकने में मदद करता है।5. हल्दी: हल्दी एक और भारतीय जड़ी बूटी है जिसे हृदय रोग के इलाज में बहुत प्रभावी दिखाया गया है। यह परिसंचरण में सुधार करने में मदद करता हैहृदय रोग के लिए हर्बल उपचारहृदय रोग के लिए कई हर्बल उपचार हैं जिनका उपयोग सदियों से आयुर्वेदिक चिकित्सा में किया जाता रहा है। इन जड़ी बूटियों का उपयोग हृदय रोग को रोकने और इलाज के लिए किया जा सकता है, और उनमें से कुछ हृदय रोग से होने वाले नुकसान को दूर करने में भी मदद कर सकते हैं।हृदय रोग के लिए आहारजब हृदय स्वास्थ्य की बात आती है, तो आप जो खाते हैं वह उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि आप कितना व्यायाम करते हैं। हृदय रोग के लिए एक स्वस्थ आहार आपके दिल के दौरे और स्ट्रोक के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है। यहाँ हृदय-स्वस्थ आहार खाने के लिए कुछ सुझाव दिए गए हैं:1. खूब फल और सब्जियां खाएं।2. परिष्कृत अनाज पर साबुत अनाज चुनें।3. संतृप्त और ट्रांस वसा सीमित करें।4. दुबले प्रोटीन स्रोतों का सेवन करें।5. सोडियम का सेवन सीमित करें।इन आहार परिवर्तनों को करने से आपके हृदय रोग के जोखिम को कम करने और आपके संपूर्ण हृदय स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद मिल सकती है।हृदय रोग के लिए व्यायामयदि आपको हृदय रोग है, तो व्यायाम आपके दिमाग की आखिरी चीज हो सकती है। लेकिन नियमित शारीरिक गतिविधि आपके दिल के लिए अच्छी होती है। यह आपके दिल को मजबूत बनाता है और इसे बेहतर तरीके से काम करने में मदद करता है।व्यायाम आपके रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को भी कम करता है। और यह आपके वजन को नियंत्रित करने में आपकी मदद करता है, जो महत्वपूर्ण है क्योंकि अधिक वजन होने से हृदय रोग हो सकता है।धीरे-धीरे शुरू करें और हर हफ्ते आपके द्वारा किए जाने वाले व्यायाम की मात्रा को धीरे-धीरे बढ़ाएं। यदि आप कुछ समय से सक्रिय नहीं हैं, तो व्यायाम कार्यक्रम शुरू करने से पहले अपने चिकित्सक से जाँच करें।निष्कर्षआयुर्वेदिक दवा का उपयोग सदियों से हृदय रोग के इलाज के लिए किया जाता रहा है, और हाल के अध्ययनों से पता चला है कि यह लक्षणों के प्रबंधन और जटिलताओं के जोखिम को कम करने में प्रभावी हो सकता है। यदि आप अपने हृदय रोग के इलाज के लिए एक सरल और आसान तरीका खोज रहे हैं, तो इनमें से कुछ आयुर्वेदिक उपचारों को आजमाने पर विचार करें।

हृदय रोग का सरल और आसान आयुर्वेदिक इलाज By वनिता कासनियां पंजाब ' परिचय आयुर्वेद के अनुसार, हृदय रोग तीन दोषों के असंतुलन के कारण होता है: वात, पित्त और कफ। हृदय रोग के लिए आयुर्वेदिक उपचार आहार परिवर्तन, जीवनशैली में बदलाव और हर्बल सप्लीमेंट के संयोजन का उपयोग करके इस संतुलन को बहाल करने पर केंद्रित है। हृदय रोग क्या है? हृदय रोग एक सामान्य शब्द है जिसका उपयोग हृदय को प्रभावित करने वाली विभिन्न स्थितियों का वर्णन करने के लिए किया जाता है। हृदय रोग को अक्सर हृदय रोग शब्द के साथ परस्पर उपयोग किया जाता है, जो उन स्थितियों को संदर्भित करता है जिनमें संकुचित या अवरुद्ध रक्त वाहिकाएं शामिल होती हैं जो दिल का दौरा, सीने में दर्द या स्ट्रोक का कारण बन सकती हैं। हृदय रोग कई प्रकार के होते हैं, और प्रत्येक के अपने लक्षण और उपचार होते हैं। जीवनशैली में बदलाव से हृदय रोग के कुछ रूपों को रोका जा सकता है, जैसे स्वस्थ आहार खाना, नियमित व्यायाम करना और तंबाकू के सेवन से बचना। हृदय रोग के अन्य रूपों में चिकित्सा उपचार की आवश्यकता होती है। आयुर्वेद भारत की एक प्राचीन चिकित्सा प्रणाली है जो स्वास्थ्...

गर्मी में ग्लिसरीन कैसे लगाएं? जानें स्किन को इससे मिलने वाले फायदे By वनिता कासनियां पंजाब गर्मियों में ग्लिसरीन स्किन के लिए बहुत फायदेमंद होती है। इसे आप अपने डेली स्किन केयर में शामिल कर सकते हैं। तेज गर्मी और लू के कारण आपकी स्किन ड्राई होने लगती है और उसका सीधा असर आपके चेहरे पर दिखता है। फिर चाहे आपके नैन नक्श कितने भी सुंदर हो लेकिन आपकी स्किन ड्राई और टैन से भरी हुई नजर आती है। गर्मी के मौसम में चेहरा झुलसा हुआ और रैशेज से भरा हुआ दिखाई देता है। गर्मी और पसीना आपकी खूबसूरती को खराब कर सकता है। फिर मेकअप भी आपके चेहरे पर अधिक देर तक टिक नहीं पाता है। इन सभी समस्याओं से बचने के लिए आपको गर्मी के मौसम में ग्लिसरीन का इस्तेमाल करना चाहिए ताकि आपकी स्किन मुलायम और ग्लोइंग नजर आए। ग्लिसरीन आपकी त्वचा को कई तरह लाभ पहुंचा सकता है। यह स्किन को अंदर से पोषण प्रदान करता है और उन्हें सूर्य की हानिकारक किरणों से बचाता है। 1. अगर आपकी स्किन गर्मी में रूखी और बेजान नजर आ रही है, तो आप ग्लिसरीन की कुछ बूंदें कॉटन में डालकर इसे अपने चेहरे पर लगा सकते हैं। यह स्किन को मुलायम और ग्लोइंग बनाता है। 2. गर्मियों में आप ग्लिसरीन का इस्तेमाल टोनर के रूप में कर सकते हैं। इससे स्किन साफ और टोन नजर आती है। आप गर्मियों में भी खूबसूरत और तरोताजा नजर आते हैं। इसके लिए आप ग्लिसरीन और गुलाब जल का टोनर तैयार कर सकते हैं। यह चेहरे को अंदर से साफ करता है। ऑयली स्किन पर आप टोनर का दो बार इस्तेमाल कर सकते हैं। 3.चेहरे को अच्छी तरीके से साफ करने के लिए आपको क्लींजर की जरूरत पड़ती है। अगर आप चाहे तो घर पर ही ग्लिसरीन और शहद की मदद से क्लींजर बना सकते हैं। इससे स्किन अंदर से हाइड्रेट और नमीयुक्त रहती है। इसके लिए आप आधा चम्मच ग्लिसरीन और आधा चम्मच शहद मिला लें। आप चाहे तो इसे बॉटल में स्टोर कर सकते हैं और मेकअप हटाने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। 4. कील-मुहांसों हटाने के लिए आफ ग्लिसरीन का इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे स्किन के दाग-धब्बे दूर हो सकते हैं। इसके लिए आप ग्लिसरीन, नींबू और गुलाब जल का इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे स्किन बेदाग और निखरी नजर आ सकती है। 5. स्किन इंफेक्शन को दूर रखने में भी ग्लिसरीन आपकी मदद कर सकता है। दरअसल इसमें एंटीबैक्टीरियल तत्व पाए जाते हैं, जो आपकी स्किन के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है। रात को सोने से पहले आप गुलाब जल से अपनी स्किन को साफ करके ग्लिसरीन लगा सकती है। इससे स्किन को भी आराम मिलता है। glycerin-benefitsImage Credit- Freepikइन तरीकों से भी कर सकते हैं इस्तेमाल1. ग्लिसरीन और गुलाब जल आपकी स्किन को धूप में जलने से भी बचाता है और स्किन टैन फ्री नजर आती है। इसके लिए आप केला, दही और ग्लिसरीन का पैक बना सकते हैं। 2. अगर आपकी स्किन बहुत चिपचिपी है, तो आप एलोवेरा जेल के साथ कुछ बूंदें ग्लिसरीन की मिलाकर लगा सकते हैं। इससे आपकी स्किन को काफी राहत मिलती है। 3. ग्लिसरीन में एंटी एजिंग प्रोपर्टीज पाई जाती है जो कि चेहरे को ग्लोइंग करने में मदद करती है साथ ही चेहरे की झुर्रियों को कम करती है।4. ऑयली स्किन वाले लोग ग्लिसरीन को एक क्लींजर की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे एक्ने की समस्या खत्म हो सकती है। 5. इसे आप रात को सोने से पहले पूरी शरीर पर लगा सकते हैं। How to apply glycerin in summer? Know the benefits of this for the skinBy Vnita Kasniya PunjabGlycerin is very beneficial for the skin in summer. You can include it in your daily skin care.

गर्मी में ग्लिसरीन कैसे लगाएं? जानें स्किन को इससे मिलने वाले फायदे By वनिता कासनियां पंजाब गर्मियों में ग्लिसरीन स्किन के लिए बहुत फायदेमंद होती है। इसे आप अपने डेली स्किन केयर में शामिल कर सकते हैं।  तेज गर्मी और लू के कारण आपकी स्किन ड्राई होने लगती है और उसका सीधा असर आपके चेहरे पर दिखता है। फिर चाहे आपके नैन नक्श कितने भी सुंदर हो लेकिन आपकी स्किन ड्राई और टैन से भरी हुई नजर आती है। गर्मी के मौसम में चेहरा झुलसा हुआ और रैशेज से भरा हुआ दिखाई देता है। गर्मी और पसीना आपकी खूबसूरती को खराब कर सकता है। फिर मेकअप भी आपके चेहरे पर अधिक देर तक टिक नहीं पाता है। इन सभी समस्याओं से बचने के लिए आपको गर्मी के मौसम में ग्लिसरीन का इस्तेमाल करना चाहिए ताकि आपकी स्किन मुलायम और ग्लोइंग नजर आए। ग्लिसरीन आपकी त्वचा को कई तरह लाभ पहुंचा सकता है। यह स्किन को अंदर से पोषण प्रदान करता है और उन्हें सूर्य की हानिकारक किरणों से बचाता है।  1. अगर आपकी स्किन गर्मी में रूखी और बेजान नजर आ रही है, तो आप ग्लिसरीन की कुछ बूंदें कॉटन में डालकर इसे अपने चेहरे पर लगा सकते हैं। यह स्किन को मुलायम और ग्लो...