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Home remedies  Bengali English Hindi Marathi Tamil TeluguNatural home remedies are remedies that are made from easily available items at home, such as fruits, vegetables, grasses, spices and herbs.Home remediesBengali English Hindi Marathi Tamil TeluguNatural home remedies are remedies that are made from easily available items at home, such as fruits, vegetables, grasses, spices and herbs. ਘਰੇਲੂ ਉਪਚਾਰਘਰੇਲੂ ਉਪਚਾਰਬੰਗਾਲੀ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਹਿੰਦੀ ਮਰਾਠੀ ਤਾਮਿਲ ਤੇਲਗੂਕੁਦਰਤੀ ਘਰੇਲੂ ਉਪਚਾਰ ਉਹ ਉਪਚਾਰ ਹਨ ਜੋ ਘਰ ਵਿਚ ਆਸਾਨੀ ਨਾਲ ਉਪਲਬਧ ਚੀਜ਼ਾਂ, ਜਿਵੇਂ ਕਿ ਫਲ, ਸਬਜ਼ੀਆਂ, ਘਾਹ, ਮਸਾਲੇ ਜੜੇ ਜੜਿ ਂ ,

ਘਰੇਲੂ ਉਪਚਾਰ ਬੰਗਾਲੀ   ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ   ਹਿੰਦੀ   ਮਰਾਠੀ   ਤਾਮਿਲ   ਤੇਲਗੂ ਕੁਦਰਤੀ ਘਰੇਲੂ ਉਪਚਾਰ ਉਹ ਉਪਚਾਰ ਹਨ ਜੋ ਘਰ ਵਿਚ ਆਸਾਨੀ ਨਾਲ ਉਪਲਬਧ ਚੀਜ਼ਾਂ, ਜਿਵੇਂ ਕਿ  ਫਲ  ,  ਸਬਜ਼ੀਆਂ  ,  ਘਾਹ  ,  ਮਸਾਲੇ  ਅਤੇ  ਜੜ੍ਹੀਆਂ ਬੂਟੀਆਂ  ਆਦਿ ਤੋਂ ਤਿਆਰ ਕੀਤੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ . ਇਹ ਪਦਾਰਥ ਉਹ ਚੀਜ਼ਾਂ ਹਨ ਜੋ ਆਮ ਤੌਰ ਤੇ ਸਾਡੇ ਕੋਲ ਰੋਜ਼ਾਨਾ ਆਉਂਦੀਆਂ ਹਨ. ਇਸ ਕਿਸਮ ਦਾ ਇਲਾਜ਼ ਆਮ  ਰੋਗਾਂ  ਨਾਲ ਨਜਿੱਠਣ ਲਈ ਸਾਡੀ ਰਸੋਈ ਵਿਚ ਉਪਲਬਧ ਚੀਜ਼ਾਂ ਤੋਂ ਤਿਆਰ ਕਰਨਾ ਸੌਖਾ  ਹੈ  . ਅਜਿਹੀਆਂ ਚੀਜ਼ਾਂ ਦੀਆਂ ਕੁਝ ਆਮ ਉਦਾਹਰਣਾਂ ਹਨ-  ਐਪਲ ਦਾ ਸਿਰਕਾ  ,  ਲਸਣ  ,  ਦਹੀਂ  ,  ਐਲੋਵੇਰਾ  , ਬੋਰਿਕ ਐਸਿਡ,  ਫੋਲਿਕ ਐਸਿਡ  ,  ਟਮਾਟਰ  , ਕੱਚਾ  ਪਿਆਜ਼  ,  ਚਾਹ ਦੇ ਰੁੱਖ ਦਾ ਤੇਲ  ,  ਬਦਾਮ  ,  ਦਾਲਚੀਨੀ  ,  ਨਿੰਬੂ ਦਾ ਰਸ  ,  ਗਿਰੀਦਾਰ  ,  ਅੰਡੇ  ,  ਹਲਦੀ  ,  ਹਰੀ ਚਾਹ  ,  ਬੇਕਿੰਗ ਸੋਡਾ  , ਕੁਦਰਤੀ  ਸ਼ਹਿਦ  ਆਦਿ. ਘਰੇਲੂ ਉਪਚਾਰ ਕੀ ਹਨ? ਘਰੇਲੂ ਉਪਚਾਰ ਕਿਵੇਂ ਕੰਮ ਕਰਦੇ ਹਨ? ਘਰੇਲੂ ਉਪਚਾਰਾਂ ਦੇ ਲਾਭ ਘਰੇਲੂ ਉਪਚਾਰ ਕੀ ਹਨ? by Vnita Kasnia Punjab// ਘਰੇਲੂ ਉਪਚਾਰਾਂ ਦੀ ਇਕ ਆਮ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾ ਇਹ ਹੈ ਕਿ ਉਹ ਆਮ ਤੌਰ 'ਤੇ ਆਮ ਵਿਅਕਤੀ ਦੁਆਰਾ ਵੀ ਵਰਤੀ ਜਾ ਸਕਦੀ ਹੈ. ਇਸ ਲਈ ਕਿਸੇ ਮੁਹਾਰਤ ਦੀ ਜ਼ਰੂਰਤ ਨਹੀਂ, ਬਸ਼ਰਤੇ ਵਰਤੋਂ ਦੇ ਸਹੀ methodੰਗ ਬਾਰੇ ਗਿਆਨ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤਾ ਜਾਏ. ਤੁਹਾਨੂੰ ਇਲਾਜ ਦੇ forੰਗ ਲਈ ਕੋਈ ਰ

स्वास्थ्य घरेलू नुस्खे//

*5 ਦਿਨਾਂ ਵਿਚ 5 ਕਿਲੋ ਘੱਟ ਕਰੋ, ਜਾਣੋ belਿੱਡ ਦੀ ਚਰਬੀ ਨੂੰ ਘਟਾਉਣ ਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਤੇਜ਼ ਫਾਰਮੂਲਾ By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब ਜੇ ਤੁਸੀਂ ਆਪਣਾ ਭਾਰ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ ਘਟਾਉਣਾ ਚਾਹੁੰਦੇ ਹੋ ਤਾਂ ਤੁਸੀਂ ਯੋਗਾ ਦਾ ਸਹਾਰਾ ਲੈ ਸਕਦੇ ਹੋ. ਯੋਗਾ ਦੇ ਨਾਲ, ਤੁਸੀਂ ਇੱਕ ਸਿਹਤਮੰਦ ਖੁਰਾਕ ਲੈ ਕੇ 5 ਦਿਨਾਂ ਵਿੱਚ 5 ਕਿਲੋਗ੍ਰਾਮ ਤੋਂ ਵੱਧ ਭਾਰ ਘਟਾ ਸਕਦੇ ਹੋ. ਉਹ ਵੀ ਬਿਨਾਂ ਕਿਸੇ ਮਾੜੇ ਪ੍ਰਭਾਵ ਦੇ. ਵਧਿਆ ਭਾਰ ਨਾ ਸਿਰਫ ਤੁਹਾਡੀ ਦਿੱਖ ਨੂੰ ਵਿਗਾੜਦਾ ਹੈ, ਬਲਕਿ ਤੁਹਾਡਾ ਵਿਸ਼ਵਾਸ ਵੀ ਘਟਾਉਂਦਾ ਹੈ. ਇਸ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਤੁਸੀਂ ਦਿਲ, ਬੀਪੀ, ਸ਼ੂਗਰ ਵਰਗੀਆਂ ਕਈ ਬਿਮਾਰੀਆਂ ਦਾ ਸ਼ਿਕਾਰ ਵੀ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹੋ. ਸ਼ਹਿਰ ਵਿੱਚ ਰਹਿਣ ਵਾਲੇ 53% ਲੋਕ ਜ਼ਿਆਦਾ ਭਾਰ ਕਾਰਨ ਪ੍ਰੇਸ਼ਾਨ ਹਨ. ਸਰਲ ਸ਼ਬਦਾਂ ਵਿਚ, ਹਰ ਤੀਜੇ ਵਿਅਕਤੀ ਨੂੰ ਮੋਟਾਪੇ ਦੀ ਸਮੱਸਿਆ ਦਾ ਸਾਹਮਣਾ ਕਰਨਾ ਪੈਂਦਾ ਹੈ. ਇਕ ਰਿਪੋਰਟ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ, menਰਤਾਂ ਮਰਦਾਂ ਦੇ ਮੁਕਾਬਲੇ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਧ ਮੋਟਾਪੇ ਦੀ ਸਮੱਸਿਆ ਦਾ ਸਾਹਮਣਾ ਕਰ ਰਹੀਆਂ ਹਨ. ਇਸ ਕਾਰਨ ਬੱਚਿਆਂ ਵਿੱਚ ਮੋਟਾਪਾ ਵੀ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ ਵਧ ਰਿਹਾ ਹੈ. ਸਵਾਮੀ ਰਾਮਦੇਵ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ ਅੱਜ ਦੇ ਸਮੇਂ ਵਿੱਚ ਭਾਰ ਵਧਣ ਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡਾ ਕਾਰਨ ਮਾੜੀ ਜੀਵਨ ਸ਼ੈਲੀ ਅਤੇ ਅਨਿਯਮਿਤ ਖਾਣਾ ਹੈ. ਭਾਰ ਵਧਣ ਕਾਰਨ ਸ਼ੂਗਰ, ਬੀਪੀ, ਨੀਂਦ ਦੀ ਘਾਟ, ਚਿੰਤਾ, ਡਿਪਰੈਸ਼ਨ, ਬੈਕ ਪੈਨ ਅਤੇ ਹੋਰ ਕਈ ਬਿਮਾਰੀਆਂ ਦਾ ਸਾਹਮਣਾ ਕਰਨਾ ਪੈਂਦਾ ਹੈ.  ਜੇ ਤੁ

स्वास्थ्य घरेलू नुस्खे

कैलोरी खूब खर्च करें, सेहत कमाएं अच्छी सेहत के लिए जरूरी है अच्छा और संतुलित खानपान। बहुत पौष्टिक आहार भी किसी व्यक्ति के लिए नुकसानदेह हो सकता है और कोई कुपोषण का शिकार हो सकता है। इसलिए खाने में कैलोरी का खयाल रखना जरूरी है। जरूरी कैलोरी के बारे में जानकारी दे रही हैं वनिता कासनियां पंजाब भोजन हमारी एक आधारभूत आवश्यकता है। इसके बिना जीवित रहना संभव नहीं है। हमें प्रतिदिन संतुलित भोजन खाना चाहिए, इससे न सिर्फ हमें स्वस्थ रहने के लिए सभी जरूरी पोषक तत्व मिलेंगे बल्कि उचित मात्रा में कैलोरी भी मिल जाएगी। कैलोरी की आवश्यकता अलग-अलग व्यक्तियों के लिए अलग-अलग होती है, जो उनके भार, ऊंचाई, लिंग, उम्र और जीवनशैली पर निर्भर करती है। आपके लिए यह जानना जरूरी है कि आपके शरीर को कितनी कैलोरी की आवश्यकता है, ताकि आपका वजन भी नियंत्रण में रहे और आपको संतुलित पोषण भी मिल जाए। क्या है कैलोरी कैलोरी ऊर्जा को मापने का एक पैमाना है। हमारे मस्तिष्क, कोशिकाओं और उतकों को कार्य करने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है और यह ऊर्जा हमें भोजन से मिलती है। हमारे शरीर में ऊर्जा संग्रहीत होती

मासिक धर्म सम्बन्धी कष्ट-निवारण के लिए अजवायन रामबाण🌹 *By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब🌹 राम राम जी* 🌹🙏🙏🌹जिस दिन मासिक स्राव (माहवारी) प्रारम्भ हुआ है उस दिन से अजवायन का काढ़ा बनाकर लें। दो कप पानी में साफ किया हुआ दो चम्मच भर अजवायन डालकर धीमी आग पर उबलने के लिए रख दें। जब पानी एक कप रह जाए तो इसमें स्वाद के अनुसार गुड़ (गुड़ पुराना अधिक अच्छा रहता है) डालकर थोड़ा उबालकर छान लें और इस अजवायन के काढ़े की सुबह एक मात्रा और शाम ऐसी एक मात्रा तीन दिन तक लें। इस प्रकार कुल छः खुराकें लेने के बाद यह काढ़ा बन्द कर दें, अगले मास तक के लिए। अगले मास पुनः मासिक धर्म प्रारम्भ होने पर रोगिणी को ऐसा लगेगा कि पिछले मास की अपेक्षा इस बार उसकी मासिक धर्म सम्बन्धी तकलीफों में कुछ राहत अवश्य मिली है। इस महीने भी पिछले महीने की तरह पुनः अजवायन का काढ़ा लेने की प्रक्रिया दोहराये। हर मास रोगिणी अपनी शारीरिक पीड़ा में बहुत राहत महसूस करने लगेगी। इस प्रकार रोगिणी का मासिक प्रतिमास नियमित एवं सामान्य होता चला जाएगा।मासिक धर्म का समय पर न आना, कष्ट से आना, एवं अचानक रूक-रूक कर आना आदि मासिक धर्म सम्बन्धी समस्त शिकायतें इस प्रयोग से दूर हो जाती हैं।विशेष- (१) यह प्रयोग हर मासिक धर्म के शुरूआत होने के तीन दिन पूर्व भी शुरू किया जा सकता है।(२) मासिक धर्म सम्बन्धी निम्नलिखित शिकायतों से घबड़ाना नहींचाहिए क्योंकि मासिक धर्म के दिनों में हर स्त्री को इनमें से किसी न किसी शारीरिक पीड़ा को झेलनी पड़ सकता है। मासिक धर्म के प्रारम्भ होने के पूर्व स्तनो में भारीपन, दर्द, खिंचाव-सा महसूस होना तथा कमर व पेट के निचले हिस्से और पिंडलियों में भयंकर पीड़ा, पेडू में भारीपन व दर्द हो सकता है। इसके अतिरिक्त मासिक कभी बहुत जल्द और कभी देर से होना, कभी मासिक स्राव असह्य पीड़ा के साथ रूक-रूक कर थक्कों के रूप में आना, गाढ़े-कत्थई रंग का स्राव होना, एक या दो दिन ठीक से स्राव नहीं होना और बन्द हो जाना और फिर किसी दिन बहुत अधिक स्राव होना, बदबूदार स्राव होना, कपड़ों पर से स्राव के दाग साफ न होना, किशोरावस्था हो जाने पर भी मासिक प्रारम्भ न होना, मासिक धर्म की गड़बड़ी के कारण गर्भ-धारण नहीं हो पाना, आदि।(३) अन्य विधि- अजवायन को साफ करके इमामदस्ते या ग्राइंडर में बारीक चूर्ण बना लें। रोगिणी पसन्द करे तो अजवायन के काढ़े के स्थान पर इस अजवायन के चूर्ण की खुराक ले सकती हैं। इसे एक चम्मच की मात्रा में सुबह तथा शाम को सादे या गुनगुने पानी से लें।समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब 🙏🙏

Celery panacea for menstrual pain  By * By philanthropist Vanita Kasani Punjab Punjab Ram Ram Ji * 🌹🙏🙏🌹  Make a decoction of parsley from the day on which the menstrual period has started. Put two spoons of parsley, which is cleaned in two cups of water, and keep it on low flame to boil. When the water remains one cup, add jaggery (jaggery is better than the old one) according to taste and boil it a little and filter it and take one quantity of this decoction in the morning and one day in the evening for three days. In this way, after taking a total of six doses, stop the decoction, for the next month. After the next month, when the menstruation starts again, Rogini will feel that this time, compared to the previous month, she has got some relief in her menstrual problems. Repeat the process of taking the decoction of parsley again this month as in the previous month. Every month Rogini will start feeling very relieved in her physical pain. In this way, the monthly monthly o

टीबी (क्षय रोग) में क्या खाना चाहिए क्या नहीं खाना चाहिए – टीबी में भोजन 🌹 *By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब🌹 राम राम जी* 🌹🙏🙏🌹टीबी, Tuberculosis, क्षय और तपेदिक ये सभी एक ही रोग के नाम है | टीबी एक संक्रामक बीमारी है यानि छूत की बीमारी है। पहले टीबी लाइलाज बीमारी मानी जाती थी, लेकिन अब इलाज से यह पूरी तरह ठीक हो जाती है। क्षय रोग मुख्य रूप से फेफड़ों का होता है, लेकिन शरीर के अन्य अंगों में भी क्षय रोग हो सकता है। टीबी का इन्फेक्शन माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस नाम के बैक्टीरिया के जरिए होता है। लगातार और लंबे समय ( करीब छह महीने से एक साल) तक एंटी बायोटिक्स के सेवन से इस बीमारी पर काबू पाया जाता है। टीबी रोग में शुरू में कमजोरी महसूस होती है, फिर भूख घटती जाती है। फिर खांसी, कफ और बुखार भी हो जाते हैं। सिरदर्द, जुकाम और अन्य छोटी बीमारियां भी आक्रमण करने लगती हैं। बाद में कफ के साथ खून भी आने लगता है। कमजोरी बहुत ज्यादा बढ़ जाती है। टीबी की बीमारी में लंबे समय तक दवाइयों के साथ-साथ अच्छी खुराक भी जरूरी होती है। टीबी मे आहार की अहमियत इस बात से समझी जा सकती है की इस बीमारी में मौतों का मुख्य कारण मरीजों को उचित पोषक आहार न मिल पाना भी होता है। टीबी में शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होनी बहुत जरूरी होती है और ऐसा सही पोषक भोजन से ही हो सकता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ने से बीमारी पर पूरी तरह काबू पाने में मदद मिलती है। टीबी के मरीजों को अपनी डायट का विशेष ध्यान रखना चाहिए इस बीमारी में शरीर को यदि जरूरी खुराक न दी जाए तो एक तो बीमारी को पूरी तरह ठीक होने में बहुत समय लगता है और दूसरे, बीमारी के फिर से पनपने का भी खतरा रहता है।इसे दूसरी तरह यूं भी कहा जा सकता है कि यदि शरीर को सभी जरूरी पोषक तत्व मिलते रहें तो शरीर में टीबी होने का खतरा भी जाता रहता है यानी शरीर को सभी जरूरी पोषक तत्व देकर टीबी से लड़ा जा सकता है। यदि आप टी.बी का उपचार ले रहे है तो अपने खानपान में बदलाव करने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह जरुर लें | टीबी के रोगी को क्या खाना चाहिए :Tuberculosis tb me kya na khaye parhej टीबी (क्षय रोग) में क्या खाना चाहिए क्या नहीं खाना चाहिएटीबी मे आहारक्षय रोग में मरीज का खाना हलका, आसानी से पचने वाला तथा अधिक पौष्टिक होना चाहिए।टीबी के रोगी को सब्जी में प्याज, करेला, लहसुन, खीरा, टमाटर, आलू, फूल गोभी,मटर,पालक, लौकी, पालक खाएं। आइये अब विस्तार से जानते है टीबी रोगी की आहार तालिका |मक्खन, मिश्री में मिलाकर सुबह-शाम सेवन करें।नये रोग में एक गिलास गर्म दूध सुबह-शाम पिएं। और टोंड दूध पियें |पुराने चावल, मूंग की दाल, सूजी की रोटी, अरारोट, बाली, जौ आदि नियमित रूप से खाएं।फलों में अंगूर, मीठा संतरा, आंवला, अनार, मीठा आम, केला, सेब, नींबू, नारियल सेवन करें।कमजोरी में शहद, मुनक्का, अखरोट, खजूर, गाजर खाएं।हरी पत्तेदार और फली वाली सब्जियां : टीबी के रोगी को अपने भोजन में पालक और इसी के जैसी हरी पत्तेदार सब्जियां अपने भोजन में जरूर शामिल करनी चाहिए। इससे शरीर को आयरन और विटामिन बी की अच्छी मात्रा मिलती है। इसी के साथ सेम, मटर और अन्य फली वाली सब्जियां भी बहुत फायदेमंद होती हैं। उपाय : कच्ची लौकी को कद्दूकस कर लें। फिर इसे आंच पर बस एक उबाल तक पकाएं। इसके बाद इसमें शक्कर मिलाकर खाएं।फलों में शरीफा और बेरी का सेवन करें : टीबी के दौरान रोगी के शरीर में रोजाना फलों की कम-से-कम दो कप मात्रा शरीर में जरूर जानी चाहिए। फलों के बीच भी कस्टर्ड एप्पल (श्रीफल या शरीफा) और स्ट्रॉबेरी विशेष रूप से फायदेमंद हैं। टीबी बीमारी में कस्टर्ड एप्पल को खाने का तरीका कुछ अलग है। इसमें शरीफा के गूदे को पानी में उबालते हैं और फिर ठंडा करके इसका सेवन करते हैं। रोजाना ऐसा करने से काफी लाभ होता है। सभी तरह की बेरी का सेवन टीबी में अच्छा रहता है। बेरी में पोटेशियम, विटामिन और अन्य जरूरी पोषक तत्व होते हैं, जो बीमारी के खिलाफ लड़ते हैं।साबुत अनाज प्रचुर मात्रा में लें : क्षय रोग में खान पान के डाइट चार्ट के अनुसार रोगी को साबुत अनाज ज्यादा खाना चाहिए। इसके तहत ओटमील (जौ और अन्य अनाजों का दलिया), ज्वार, बाजरा, विभिन्न अनाजों के आटे को मिलाकर बनाई गई रोटियां, होल व्हीट, ब्राउन राइस आदि आते हैं।चिकनाई में जैतून का तेल चुनें : जब चिकनाई यानी तैलीय पदार्थ खाने की बात आती है तो टीबी के रोगी को मक्खन, घी जैसे सेचुरेटिड फैट के बजाय जैतून के तेल जैसे अनसेचुरेटिड फैट का चुनाव करना चाहिए। ऐसा इसलिए, क्योंकि इस तेल में अच्छी वाली फैट होती है। हालाँकि जैतून का तेल उपलब्ध ना होने पर सामान्य घी का भी प्रयोग किया जा सकता है |ओमेगा-3 फैटी एसिड के सेवन पर जोर दें : यह भी अच्छी वाली फैट होती है, जो मछली और उसके तेल, अलसी और उसके तेल, सरसों के तेल, सभी नट्स, जैसे बादाम, अखरोट, काजू, पिस्ता, मूंगफली आदि में पाई जाती है। उपाय : थोड़ी अखरोट की गिरी लें। दो-तीन कलियां लहसुन की लें। दोनों को मिलाकर पीस लें। इस मिश्रण को देसी घी में भूनकर खाएं। ऐसा रोज करें।प्रोटीन: टीबी के दौरान कमजोर शरीर को प्रोटीन देना बहुत जरूरी हो जाता है। इसलिए प्रोटीन के धनी पदार्थ अपने भोजन में शामिल करें। प्रोटीन के लिए मछली, पनीर, दालें, उबले अंडे, सोया और मांस, भी खाएं | अंडा और टीबी को लेकर भी कई लोगो में शंका बनी रहती है लेकिन अगर आप मांसाहारी है और नॉन वेज खाना खाते है तो टीबी रोग में उबला अंडा खा सकते है यह प्रोटीन का अच्छा स्रोत है |टीबी में अंगूर को भी बहुत लाभदायक होता है। रोजाना करीब एक पाव अंगूर खाने से बहुत लाभ होता है।सेब का मुरब्बा रोज खाने से भी टीबी के रोगी को लाभ मिलेगा।बेर या बेरियों को सीधा न खाकर इनका गूदा कुचलकर पानी में उबालें और फिर उसमें शक्कर डालकर खाएं।विशेषज्ञों के अनुसार, यदि केले के तने का रस निकालकर और छानकर 40 दिन तक रोजाना एक कप पिया जाए तो टीबी रोगी को बहुत लाभ होता है।टीबी में लहसुन का सेवन भी बहुत लाभकारी है। यदि एक महीने तक लहसुन की दो-तीन कलियां रोज सुबह कच्ची ही चबा ली जाएं तो रोग शरीर से पूरी तरह निकल जाएगा। जानिए – लहसुन खाने के फायदे और 14 बेहतरीन औषधीय गुणरोजाना लहसुन के रस के साथ शहद मिलाकर चाटने से भी लाभ होगा।दूध को पीने से पहले चार-पांच कलियां लहसुन डालकर उबालें। उबलने के बाद दूध को छानकर पीएं।टीबी रोग में खानपान के ये विशेष उपाय भी करें :रोजाना दूध के साथ गुलकंद खाएं।विटामिन डी के लिए टीबी रोगी को धूप में जरुर बैठना चाहिए |दूध में बकरी का दूध विशेष लाभ देगा। रोजाना आधा लीटर बकरी के दूध में आधा चम्मच सौंठ डालकर और गर्म करके पीएं।चार-एक के अनुपात में मक्खन और शहद लें और दोनों को मिलाकर रोज सुबह खाएं। घी नहीं मक्खन होना चाहिए |रोजाना कच्चा नारियल खाने से भी टीबी रोगी को लाभ होता है।एक पाव बकरी का दूध लें। लहसुन की चटनी बना लें। थोड़ा-सा नारियल कस लें। अब तीनों को मिलाकर इनका हलवा बनाएं और सेवन करें।खजूर, छुहारे, नारियल का रोजाना सेवन करें।पानी आर.ओ से फ़िल्टर किया हुआ या उबला हुआ ही पियें | भारी मेटल वाला कुँए, नदी या हैण्ड पंप से निकला हुआ पानी सीधे ना पिएटीबी में क्या नहीं खाना चाहिए : क्षय रोग में परहेजटीबी में ऐसा भोजन नहीं होना चाहिए, जो मुश्किल से पचे, क्योंकि ऐसा भोजन एसोडिटी पैदा कर सकता है और श्वसन-तंत्र की गड़बड़ी को और बढ़ा सकता है।तंबाकू का सेवन (बीड़ी, सिगरेट, हुक्का, गुटखा आदि) हानिकारक होगा।शराब का सेवन नुकसान करेगा। टीबी के इलाज के लिए ली जाने वाली कुछ दवाइयों से शराब पीने की स्थिति में लिवर को नुकसान की आशंका बहुत बढ़ जाती है। याद रखें शराब का सेवन जानलेवा होगा यदि आप टी.बी के इलाज के दौरान शराब पियेंगे तो |चाय, कॉफी और कैफीन वाले अन्य पदार्थों का सेवन भी कम-से-कम करें।रिफाइंड उत्पादों का सेवन भी कम-से-कम करें। इनमें चीनी, पास्ता, सफेद ब्रेड,पीज्जा, बर्गर, मैगी और सफेद चावल विशेष रूप से शामिल हैं। यह भी पढ़ें – T.B के कारण, लक्षण, प्रकार और बचाव की जानकारीहाई फैट, हाई कोलेस्ट्रॉल वाले रेड मीट जैसे भोजन से परेहज करें।ठंडे, चटपटे, तले भुने तेल में फ्राई किये गए पदार्थ न खाएं। ज्यादा मिर्च-मसालेदार आहार भी न खाएं।बासी अन्न और साग-सब्जी का सेवन न करें।अचार, खटाई, तेल, घी का अधिक सेवन करने से बचें। सिर्फ सयंमित मात्रा में ही लें |टीबी या क्षय रोग इन बातों का भी जरुर रखें ख्याल :टीबी को दूर करने वाली कुछ दवाइयों को खाने से भूख में कमी आती है, जी मिचला सकता है और पेट में भी दर्द होता है। आखों से देखने की क्षमता पर भी असर पड़ सकता है। इन साइड इफेक्ट से घबराकर दवाई बिल्कुल न छोड़ें। इसके बजाय इन सारे या किसी एक दुष्प्रभाव के बारे में अपने डॉक्टर को बताएं।पौष्टिक भोजन किसी भी प्रकार से न छोड़ें। जिस प्रकार भी आपको अच्छा लगे, शरीर को भरपूर खुराक दें। एक बार में ज्यादा न खाकर कई-कई बार थोड़ा-थोड़ा खाएं, जिससे भूख कम लगने पर भी जरूरी पोषक तत्व शरीर में जाते रहें। दो भोजन के बीच में ज्यादा कैलोरी वाले प्रोटीन शेक का इस्तेमाल करें। पेट ठीक महसूस न हो रहा हो तो पुदीना या अदरक की चाय पीएं।रोज सुबह के समय नंगे पांव घास पर टहलें। बीमारी की हालत में स्कूल या ऑफिस न जाएं।खांसते या छींकते समय मुंह पर रुमाल रखें। हवादार और अलग कमरे में लेटें। सूरज की रोशनी टीबी के मरीज के लिए बहुत जरुरी होती है |अपने डॉक्टर से टीबी के दौरान बरती जाने वाली अन्य सावधानियों के बारे में पूछे और उन पर अमल करें, ताकि आपके जरिए दूसरे लोग इस बीमारी की चपेट में न आने पाएं।टीबी रोगियों के कुछ आम सवाल और उनके जवाबसवाल : क्या टीबी के हर रोगी से रोग दूसरों में फैल सकता है?जवाब : नहीं। टीबी फैलने का डर सिर्फ उन रोगियों से होता है जिनके फेफड़े में टीबी से बड़े-बड़े जख्म बन जाते हैं और असंख्य टीबी बैक्टीरिया इन जख्मों में पनप रहे होते हैं। रोगी के खांसने, छींकने, थूकने, सांस छोड़ने पर ये बैक्टीरिया हवा में फैल जाते हैं और दूसरों के फेफड़ों में पहुंच रोग पैदा कर सकते हैं।सवाल : दवा शुरू करने के कितने दिन बाद टीबी के रोगी से टीबी फैलने का डर खत्म हो जाता है?जवाब : दवा शुरू करने के 72 घंटों के भीतर ही रोगी के फेफड़े में पल रहे। माइकोबैक्टीरिया तेजी से मरने लगते हैं। तीन हफ्ते बीतते-बीतते शरीर के भीतर माइकोबैक्टीरिया की आबादी इतनी कम रह जाती है। कि टी.बी फैलने का खतरा बिल्कुल खत्म हो जाता है। सवाल : टी.बी का पूरा इलाज लेने के बाद भी क्या यह रोग फिर से हो सकता है?जवाब : टी.बी के फिर से होने की आशंका उन्हीं लोगों में अधिक होती है जो इलाज बीच में छोड़ देते हैं। इलाज पूरा लिया जाए तो टी.बी की रिलेप्स दर 2 प्रतिशत से भी कम है। यह पुनरावृत्ति अगर हो तो इसकी सबसे अधिक संभावना इलाज पूरा होने के पहले या दूसरे साल में होती है।सवाल : टी.बी-रोधक रिफेम्पिसिन दवा सुबह-सुबह खाली पेट लेना क्यों जरूरी है?जवाब : सुबह-सुबह खाली पेट लेने से रिफेम्पिसिन आंतों से बेहतर जज्ब होती है, खून में यह पूरी उपयुक्त मात्रा में पहुंचती है और रोगी को उसका पूरा लाभ मिलता है। नतीजतन यह पूरे जोर-शोर से शरीर में छुपे टीबी बैक्टीरिया का सफाया कर पाती है। टीबी पर जीत हासिल करने के लिए इसीलिए इस डॉक्टरी सलाह का पालन करने में ही समझदारी है।सवाल : एम.डी.आर टी.बी क्या है?जवाब : मनुष्य में फैलते-फैलते टी.बी-कारक माइकोबैक्टीरिया की कई ऐसी नई नस्लें उपज आयी हैं जिनकी संरचना साधारण माइकोबैक्टीरिया की बनावट से अलग है। उन पर सामान्य टीबी-रोधक दवाएं असर नहीं कर पातीं। ऐसे माइकोबैक्टीरिया से उपजी टीबी मल्टी-ड्रग रजिस्टेंट होती है, जिसे संक्षेप में एमडीआर टीबी कहते हैं।सवाल : टी.बी-रोधक आईएनएच दवा के साथ विटामिन बी, की गोली लेना क्यों जरूरी है?जवाब : आईएनएच (आइसोनायजिड) लेने से शरीर में विटामिन बी की कमी आ जाती है। रोजाना विटामिन बी उर्फ पिरीडॉक्सिन की गोली लेने से इस कमी की भरपाई होती रहती है और शरीर स्वस्थ रहता है। चोकर वाला आटा, भूसी वाले चावल, अंकुरित दालें, सब्जियाँ और गोश्त भी विटामिन बी के अच्छे स्रोत हैं, जिनके नियमित सेवन से यह पूर्ति की जा सकती है।अन्य सम्बंधित पोस्टटीबी की बीमारी में भोजन : जानिए लाभदायक फल और सब्जियांबवासीर में क्या खाएं क्या ना खाएं 35 टिप्स-Diet In Pilesपथरी में क्या खाना चाहिए : किडनी स्टोन में भोजनथायराइड में क्या खाएं और क्या न खाएंडायबिटीज में क्या खाए और क्या नहीं-31 टिप्स-Diabetic Dietखून की कमी (एनीमिया) : कारण, लक्षण और उपायकरेले के जूस के 21 फायदे तथा जूस बनाने की विधिलौकी जूस के बेहतरीन 29 औषधीय गुण

हल्दी के फायदे

  हल्दी जितना भारतीय है, उतना ही शुभ और औषधीय गुणों से भरा 🌹 *By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब🌹 राम राम जी* 🌹🙏🙏🌹 हल्दी दूध इमेज स्रोत,Vnita कुछ साल पहले लंदन की एक कॉफी दुकान में जब मैंने पहली बार हल्दी दूध को देखा तो मुझे भरोसा नहीं हुआ. मेन्यू में इसे 'गोल्डन मिल्क' नाम दिया गया था. इसमें बादाम, थोड़ी दालचीनी और काली मिर्च के साथ मिठास के लिए प्राकृतिक एगेव सिरप डाली गई थी. उसके आगे मैंने पढ़ना बंद कर दिया. इसकी एक वजह शायद यह थी कि मैंने उसकी महंगी क़ीमत देख ली थी. दूसरी वजह, मुझे भारत की हज़ारों दादी मां की मुस्कान याद आ गई थी. थोड़ी देर के लिए मैं बचपन की यादों में खो गई जब मेरी मां मुझे गर्म हल्दी दूध पिलाने के लिए दुलारती थी. मना करने पर डांट भी पड़ती थी. विज्ञापन उस दूध में मेवे नहीं होते थे. मीठा बनाने के लिए बस चीनी मिली होती थी. आख़िरी घूंट में मुंह में हल्दी भर जाती थी. हिंदी में जिसे हल्दी दूध कहा जाता है उसे मेरी मां तमिल में पलील मंजल कहती थी. छोड़कर और ये भी पढ़ें आगे बढ़ें और ये भी पढ़ें सत्यजीत चौरसिया सलमान, ऋतिक, फ़रहान के सिक्स पैक ऐब्