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हल्दी के फायदे

 हल्दी जितना भारतीय है, उतना ही शुभ और औषधीय गुणों से भरा 🌹 *By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब🌹 राम राम जी* 🌹🙏🙏🌹
हल्दी दूध
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कुछ साल पहले लंदन की एक कॉफी दुकान में जब मैंने पहली बार हल्दी दूध को देखा तो मुझे भरोसा नहीं हुआ. मेन्यू में इसे 'गोल्डन मिल्क' नाम दिया गया था.

इसमें बादाम, थोड़ी दालचीनी और काली मिर्च के साथ मिठास के लिए प्राकृतिक एगेव सिरप डाली गई थी.

उसके आगे मैंने पढ़ना बंद कर दिया. इसकी एक वजह शायद यह थी कि मैंने उसकी महंगी क़ीमत देख ली थी. दूसरी वजह, मुझे भारत की हज़ारों दादी मां की मुस्कान याद आ गई थी.

थोड़ी देर के लिए मैं बचपन की यादों में खो गई जब मेरी मां मुझे गर्म हल्दी दूध पिलाने के लिए दुलारती थी. मना करने पर डांट भी पड़ती थी.

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उस दूध में मेवे नहीं होते थे. मीठा बनाने के लिए बस चीनी मिली होती थी. आख़िरी घूंट में मुंह में हल्दी भर जाती थी. हिंदी में जिसे हल्दी दूध कहा जाता है उसे मेरी मां तमिल में पलील मंजल कहती थी.

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हल्दी
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मसाला या औषधि?

गले में खराश हो या शरीर में बुखार हो, मां तुरंत ही हल्दी दूध पिला देती थी. कई भारतीय इसे तरल रामबाण औषधि मानते हैं.

पश्चिमी देशों ने पिछले दशक में ही हल्दी को खोजा और इसे 'सुपरफ़ूड' बनाने में देर नहीं की.

उन्होंने हल्दी की ताज़ी गांठों को चाय और कॉफी में मिला दिया. उसका शरबत बनाने लगे और तुरंत फ़ायदे के लिए हल्दी का गाढ़ा पेय तैयार कर दिया.

लंदन के बाद सैन फ्रांसिस्को से लेकर मेलबर्न तक सभी शहरों के कैफे और कॉफी दुकानों में मैंने हल्दी वाले पेय देखे हैं.

भारत में हल्दी लंबे समय से रसोई की प्रमुख सामग्रियों में से एक है. यह दो रूपों में इस्तेमाल होती है- गांठों के रूप में और अब हल्दी पाउडर के रूप में भी.

मेरी मसालदानी में सरसों, जीरा और मिर्च पाउडर के साथ हमेशा हल्दी पाउडर मिलता है. मेरी मां भी ऐसे ही मसाले रखती थी और उनसे पहले उनकी मां का भी यही तरीक़ा था.


लंदन में हल्दी-दूध की धूम

पारंपरिक भारतीय रसोई में हल्दी खाने में रंग लाने के लिए इस्तेमाल होती है, ख़ास तौर पर करी और शोरबा बनाने में.

हल्दी की ताज़ी और मुलायम गांठों से हल्दी का अचार भी बनता है, जिसके ऊपर गर्म तेल से छौंक लगाई जाती है. कुछ समुदायों में हल्दी के पत्तों का लिफाफा बनाकर उसमें भोजन पकाया जाता है.

'द फ्लेवर ऑफ़ स्पाइस' की लेखिका मरियम रेशी कहती हैं, "गोवा में मैं अपने घर में हल्दी उगाती हूं ताकि यहां की मशहूर पटोलिओ मिठाई बना सकूं."

पटोलियो बनाने के लिए दरदरे चावल में गुड़ मिलाकर उसे हल्दी के दो पत्तों के बीच रखा जाता है. इसके बाद उसे भाप लगाकर पकाया जाता है जिससे उसमें हल्दी की ख़ास ख़ुशबू आ जाती है.

हल्दी दूध
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हल्दी कितनी ज़रूरी?

क्या नए भारतीय व्यंजनों में भी हल्दी की उतनी ही अहमियत है जितना पांरपरिक खाने में है? यह जानने के लिए मैंने मुंबई के मशहूर द बॉम्बे कैंटीन रेस्तरां के एक्जीक्यूटिव शेफ़ थॉमस ज़कारिया से बात की.

ज़कारिया अपने रेस्तरां में सिर्फ़ ताज़ी और स्थानीय सामग्रियों का ही इस्तेमाल करते हैं. वह हल्दी को "कम जायके वाली पृष्ठभूमि सामग्री" कहते हैं.

"मुझे लगता है कि भारत में ज़्यादातर लोग इसे आदत के कारण इस्तेमाल करते हैं, न कि खाने में कोई जायका बढ़ाने के लिए."

ज़कारिया को जब भी मौक़ा मिलता है वह ताज़ी हल्दी को स्टार सामग्री की तरह इस्तेमाल करते हैं, जैसे केरल की फिश करी मीन मोइली बनाने के लिए.

हल्दी और अदरक एक ही परिवार के हैं. भारत के कई राज्यों में इसकी खेती होती है.
फाइनेंसियल एक्सप्रेस के मुताबिक दुनिया भर के कुल हल्दी उत्पादन का 75 फ़ीसदी से अधिक हिस्सा भारत में होता है. भारत दुनिया का सबसे बड़ा हल्दी निर्यातक है और यहां इसकी खपत भी सबसे ज़्यादा है.

दक्षिण भारत के गर्म और आर्द्र मौसम वाले राज्यों- आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में उम्दा क्वालिटी वाली हल्दी का बड़े पैमाने पर उत्पादन होता है.

इसे मई से अगस्त के बीच लगाया जाता है और जनवरी आते-आते फसल तैयार होने लगती है.

हल्दी की फसल
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शगुन की गांठ
इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि तमिलनाडु में जनवरी के मध्य में होने वाली नई फसल के उत्सव पोंगल में हल्दी की जड़ और पत्तों का इस्तेमाल होता है.

दूध उबालने के बर्तन के मुंह पर हल्दी के ताज़े पत्ते और उसकी जड़ बांधी जाती है. इसे धनधान्य का प्रतीक माना जाता है.

भारत में हल्दी रसोई के एक मसाले से कहीं बढ़कर है. भारतीय संस्कृति में इसकी ख़ास जगह है.

कई हिंदू समुदायों में शादी जैसे शुभ अवसरों पर उर्वरता और समृद्धि के प्रतीक के तौर पर हल्दी का उपयोग किया जाता है.

मिसाल के लिए, शादी से पहले हल्दी की रस्म होती है जिसमें परिवार के बड़े बुज़ुर्ग दुल्हन और दूल्हे के चेहरे पर हल्दी का लेप लगाते हैं.

दुल्हन के मंगलसूत्र के धागे को भी हल्दी के घोल में डुबोया जाता है. आज भी शादी सहित तमाम शुभ मौकों पर पहने जाने वाले कपड़ों के किसी कोने में हल्दी पाउडर लगा दिया जाता है.

भारतीय महिलाएं अपने घरेलू फेस पैक में एक चुटकी हल्दी मिलाती हैं. उनका मानना है कि हल्दी से त्वचा साफ़ और चमकदार होती है.

हल्दी
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असली भारतीय मसाला
रेशी का कहना है कि भारत के ज़्यादातर मसाले खोजी यात्री और आक्रमणकारी लेकर आए, जैसे मिर्च दक्षिण अमरीका से लाया गया तो जीरा पूर्वी भूमध्य सागर क्षेत्र से आया. मगर हल्दी पूरी तरह भारतीय है.

"यह हमारा मसाला है. जिस तरह से हमने इसे दिल से अपनाया है और इसके औषधीय गुणों पर हमारा जैसा विश्वास है वह हज़ारों साल की अंतरंगता से बनता है."

दस साल पहले एक पुराने दर्द के इलाज के लिए मैं केरल के एक आयुर्वेद अस्तपाल गई थी. उन्होंने हल्दी के लेप, कुछ मालिश और अन्य औषधियों से मेरा इलाज किया था.

तब एक वरिष्ठ वैद्य ने मुझे बताया था कि आयुर्वेद में हल्दी को जलन कम करने वाला माना गया है. इससे दर्द में राहत मिलती है.

कई भारतीय हल्दी से घरेलू उपचार करते हैं, जैसे टखने में मोच आ जाए तो हल्दी का लेप लगा लो या या सर्दी भगानी हो तो हल्दी की गांठ का धुआं सूंघ लो. आयुर्वेद की परंपरागत चिकित्सा प्रणाली में इसका इस्तेमाल सदियों से हो रहा है.

बेंगलुरू के सौक्या होलिस्टिक हेल्थ सेंटर के संस्थापक डॉक्टर आइज़क मथाई का कहना है कि आयुर्वेद मानव शरीर में तीन तरह की ऊर्जा मानता है- वात, पित्त और कफ.

"हल्दी एकमात्र ऐसी औषधि सामग्री है जो इन तीनों तरह के दोषों को ठीक करती है."

यह जलन कम करती है. साथ ही यह भी माना जाता है कि हल्दी में एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-सेप्टिक गुण होते हैं. हालांकि इन चिकित्सीय गुणों के वैज्ञानिक प्रमाण अभी नहीं मिले हैं.

हल्दी
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हल्दी के रासायनिक गुण

हल्दी को उसका चमकीला पीला रंग और इसकी कथित औषधीय ख़ूबियां एक रासायनिक घटक से मिलती हैं. इसका नाम है कर्क्यूमिन.

एक सिद्धांत कहता है कि भारतीय खाना पकाने में जिस तरह तेल में फ्राई किया जाता है उससे कर्क्यूमिन का असर बढ़ जाता है.

पोषण विशेषज्ञ और 'द एवरीडे हेल्दी वेजिटेरियन' की लेखिका नंदिता अय्यर कहती हैं, "कर्क्यूमिन एक तेज़ी से घुलने वाला यौगिक है. वसा के साथ कर्क्यूमिन के मिल जाने से शरीर में उसके अवशोषित होने की संभावना बढ़ जाती है."

अगर यह सही है तो यह मेरे कानों में शहद घुलने जैसा है. इसका मतलब यह है कि मैं बिना किसी अपराधबोध के हल्दी दूध पीने से मना कर सकती हूं और उसकी जगह हल्दी का मसालेदार अचार खा सकती हूं.

उनके लिए जो महंगे कैफे में टर्मरिक लैटे पीने के लिए बड़ी रकम ख़र्च करते हैं, उनको चेत जाना चाहिए कि यह उनकी सभी मर्ज की दवा नहीं है. अच्छा हो कि वे इसे रामबाण औषधि की जगह गर्मागर्म पेय समझकर पिएं.


The more Indian the turmeric is, the more auspicious and full of medicinal qualities By * By social worker Vanita Kasani Punjab🌹 Ram Ram Ji * 🌹🙏🙏🌹
 Turmeric milk
 Image Source, Vnita
 A few years ago when I first saw turmeric milk in a coffee shop in London, I could not believe it. In the menu, it was named 'Golden Milk'.

 Natural agave syrup was added to it for sweetness with almonds, a little cinnamon and black pepper.

 I stopped reading before that. Perhaps one of the reasons for this was that I had seen his expensive price. Secondly, I remembered the smile of thousands of grandmothers of India.

 For a while I was lost in childhood memories when my mother used to caress me for feeding hot turmeric. There was also scolding for refusing.

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 There were no nuts in that milk. Sugar was available just to make it sweet. In the last sip, turmeric was filled in the mouth. In Hindi, what is called turmeric milk, my mother used to call Palil Manjal in Tamil.

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 turmeric
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 Spices or Potions?

 If there was a sore throat or body fever, the mother used to give turmeric milk immediately. Many Indians consider it a liquid panacea.

 Western countries discovered turmeric in the last decade itself and did not delay in making it a 'superfood'.

 They mixed fresh lumps of turmeric into tea and coffee. Started making her syrup and immediately prepared a thick drink of turmeric for the benefit.

 After London, I have seen turmeric drinks in cafes and coffee shops in all cities from San Francisco to Melbourne.

 Turmeric has been one of the major kitchen ingredients in India for a long time. It is used in two forms - in the form of lumps and now also in the form of turmeric powder.

 In my Masaldani, turmeric powder is always available along with mustard, cumin and chilli powder. My mother used to have similar spices and before that her mother had the same method.



 Turmeric-milk boom in London

 In traditional Indian kitchens, turmeric is used to add color to food, especially in making curries and broths.

 Turmeric pickles are also made from fresh and soft lumps of turmeric, on which a sprinkle of hot oil is applied. In some communities, turmeric leaves are enveloped and food is cooked in it.

 Mariam Reshi, author of 'The Flavor of Spice' says, "I grow turmeric in my house in Goa to make the famous patolio dessert here."

 To make the patolio, mix the jaggery in the coarse rice and place it between two leaves of turmeric. After this, it is cooked with steam and it smells of turmeric in it.

 Turmeric milk
 Image source,
 How important is turmeric?

 Is turmeric as important in traditional Indian cuisine as it is in traditional food? To know this, I spoke to Chef Thomas Zakaria, executive of Mumbai's famous The Bombay Canteen Restaurant.

 Zakaria uses only fresh and local ingredients in his restaurant. He calls turmeric "background material with low flavors".

 "I think most people in India use it because of their habit, not to increase the taste of food."

 Whenever Zakaria gets an opportunity, he uses fresh turmeric as a star material, such as Kerala curry to make Meen Moily.

 Turmeric and ginger belong to the same family. It is cultivated in many states of India.

 According to the Financial Express, more than 75 percent of the total turmeric production around the world is in India. India is the world's largest exporter of turmeric and its consumption is also highest here.

 High quality turmeric is produced on a large scale in the hot and humid weather states of South India - Andhra Pradesh and Tamil Nadu.

 It is planted between May and August and by January, the crop starts to be ready.

 Turmeric crop
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 Omen

 It is no wonder that turmeric root and leaves are used in Pongal, a celebration of the new crop in Tamil Nadu in mid-January.

 Fresh leaves of turmeric and its root are tied on the mouth of the pot of boiling milk. It is considered a symbol of wealth.

 Turmeric in India is more than a kitchen spice. It has a special place in Indian culture.

 In many Hindu communities, turmeric is used as a symbol of fertility and prosperity on auspicious occasions like marriage.

 For example, there is a turmeric ceremony before the wedding in which the elders of the family apply turmeric to the bride and groom's face.

 The thread of the bride's mangalsutra is also immersed in turmeric solution. Even today, turmeric powder is applied in any corner of clothes worn on all auspicious occasions including marriage.

 Indian women add a pinch of turmeric to their domestic face packs. They believe that turmeric makes the skin clear and shiny.

 turmeric
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 Real indian spice

 Reshi says that most of India's spices brought investigative travelers and invaders, such as chilli brought from South America and cumin from the eastern Mediterranean region. But turmeric is completely Indian.

 "It is our spice. The way we have adopted it wholeheartedly and our belief in its medicinal properties is made up of thousands of years of intimacy."

 Ten years ago, I went to an Ayurvedic hospital in Kerala to treat a chronic pain. He treated me with turmeric paste, some massages and other medicines.

 Then a senior Vaidya told me that turmeric is considered to be irritant in Ayurveda. It gives relief in pain.

 Many Indians do home remedies with turmeric, such as a sprain in the ankle, apply turmeric paste, or if the winter is fugitive, smell the smoke of turmeric lump. It has been used for centuries in the traditional system of medicine of Ayurveda.

 Dr. Ayaz Mathai, founder of Saukya Holistic Health Center in Bengaluru, says that Ayurveda considers three types of energy in the human body - Vata, Pitta and Kapha.

 "Turmeric is the only medicine that cures all three types of doshas."

 It reduces irritation. Also it is believed that turmeric has anti-oxidant and anti-septic properties. Although scientific evidence of these medical properties has not been found yet.

 turmeric
 Image Source Vnita punjab
 Chemical Properties of Turmeric

 Turmeric gets its bright yellow color and its alleged medicinal properties from a chemical component. Its name is Curcumin.

 One theory says that curcumin increases the effect of frying in oil in Indian cooking.

 Nutritionist and author of 'The Everyday Vegetarian' says Nandita Iyer, "Curcumin is a fast-soluble compound. The addition of curcumin with fat increases the chances of it being absorbed into the body."

 If this is correct, then it is like dissolving honey in my ears. This means that I can refuse to drink turmeric milk without any guilt and can eat spicy turmeric pickles instead.

 For those who spend large sums of money to drink turmeric latte in expensive cafes, they should be warned that this is not all their merge medicine. It is good that they drink it as a hot drink instead of a panacea.




ہلدی جتنی زیادہ ہندوستانی ہوتی ہے ، اتنا ہی مضحکہ خیز اور دواؤں کی خوبیوں سے بھری ہوتی ہے منجانب * سماجی کارکن وینیتا کاسنی پنجاب🌹 رام رام جی * 🌹🙏🙏🌹
 ہلدی کا دودھ
 تصویری ماخذ ، Vnita
 کچھ سال پہلے جب میں نے لندن میں ایک کافی شاپ میں ہلدی کا دودھ پہلی بار دیکھا تو مجھے یقین نہیں آیا۔ مینو میں ، اس کا نام 'گولڈن دودھ' رکھا گیا تھا۔

 اس میں بادام ، تھوڑی سی دارچینی اور کالی مرچ کے ساتھ مٹھاس لانے کے لئے قدرتی ایگیو شربت شامل کیا گیا تھا۔

 میں نے اس سے پہلے پڑھنا چھوڑ دیا۔ شاید اس کی ایک وجہ یہ بھی تھی کہ میں نے اس کی مہنگی قیمت دیکھی تھی۔ دوم ، مجھے ہندوستان کی ہزاروں دادیوں کی مسکراہٹ یاد آئی۔

 تھوڑی دیر کے لئے میں بچپن کی یادوں میں کھو گیا تھا جب میری والدہ گرم ہلدی کھلانے کے لئے مجھے پیار کرتی تھیں۔ انکار کرنے پر بھی ڈانٹ پڑ رہی تھی۔

 اشتہار

 اس دودھ میں گری دار میوے نہیں تھے۔ شوگر صرف اسے میٹھا بنانے کے لئے دستیاب تھا۔ آخری گھونٹ میں ، ہلدی منہ میں بھر گئی۔ ہندی میں ، جسے ہلدی کا دودھ کہا جاتا ہے ، میری والدہ تمل میں پیل منجل کہتے تھے۔

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 ختم
 ہلدی
 تصویری ماخذ ،
 مصالحے یا آلودہ؟

 اگر گلے کی سوزش یا جسمانی بخار تھا تو ، ماں فورا. ہلدی دودھ پلایا کرتی تھی۔ بہت سے ہندوستانی اس کو مائع بیماریوں سے پاک سمجھتے ہیں۔

 مغربی ممالک نے پچھلی دہائی میں ہی ہلدی کی دریافت کی تھی اور اسے 'سپر فوڈ' بنانے میں تاخیر نہیں کی تھی۔

 انہوں نے ہلدی کے تازہ گانٹھوں کو چائے اور کافی میں ملایا۔ اس کا شربت بنانا شروع کیا اور فوری طور پر فائدہ کے ل a ہلدی کا ایک گھنا مشروب تیار کیا۔

 لندن کے بعد ، میں نے سان فرانسسکو سے میلبورن تک تمام شہروں میں کیفے اور کافی شاپس میں ہلدی کے مشروبات دیکھے ہیں۔

 ہلدی ایک طویل عرصے سے ہندوستان میں باورچی خانے کا ایک اہم عنصر رہا ہے۔ یہ دو شکلوں میں استعمال ہوتا ہے - گانٹھوں کی شکل میں اور اب ہلدی پاؤڈر کی شکل میں بھی۔

 میرے مسالدانی میں ہلدی پاؤڈر ہمیشہ سرسوں ، زیرہ اور مرچ پاؤڈر کے ساتھ ملتا ہے۔ میری والدہ بھی اسی طرح کے مصالحے استعمال کرتی تھیں اور اس سے پہلے ان کی والدہ کا بھی یہی طریقہ تھا۔



 لندن میں ہلدی دودھ کی تیزی

 روایتی ہندوستانی کچن میں ، ہلدی کا استعمال کھانے میں رنگ شامل کرنے کے لئے کیا جاتا ہے ، خاص کر سالن اور شوربے بنانے میں۔

 ہلدی کے اچار ہلدی کے تازہ اور نرم گانٹھوں سے بھی بنائے جاتے ہیں ، جس پر گرم تیل کا چھڑکle لگایا جاتا ہے۔ کچھ برادریوں میں ہلدی کے پتے لفافہ ہوجاتے ہیں اور اس میں کھانا پکایا جاتا ہے۔

 'مسالے کے ذائقے' کے مصنف مریم ریشی کا کہنا ہے کہ ، "میں گوا میں اپنے گھر میں ہلدی اگاتا ہوں تاکہ یہاں کی مشہور پٹرولیو میٹھی بنائی جا.۔

 پٹولو بنانے کے لئے موٹے موٹے چاول میں گڑ ملا کر ہلدی کے دو پتوں کے بیچ رکھیں۔ اس کے بعد اسے بھاپ سے پکایا جاتا ہے اور اس میں ہلدی کی خوشبو آتی ہے۔

 ہلدی کا دودھ
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 ہلدی کتنی اہم ہے؟

 کیا روایتی ہندوستانی کھانوں میں ہلدی اتنی ہی اہم ہے جتنی روایتی کھانوں میں؟ اس کو جاننے کے لئے ، میں نے ممبئی کے مشہور دی بمبئی کینٹین ریسٹورنٹ کے ایگزیکٹو شیف تھامس ذکریا سے بات کی۔

 زکریا اپنے ریستوراں میں صرف تازہ اور مقامی اجزاء استعمال کرتی ہیں۔ وہ ہلدی کو "کم ذائقہ والے پس منظر کا مواد" کہتے ہیں۔

 "میرے خیال میں ہندوستان میں زیادہ تر لوگ کھانے کی ذائقہ بڑھانے کے ل not ، اپنی عادت کی وجہ سے اس کا استعمال کرتے ہیں۔"

 زکریا کو جب بھی موقع ملتا ہے ، وہ مین ہل کو بنانے کے لئے تازہ ہلدی کو اسٹار میٹریل کی طرح استعمال کرتا ہے ، جیسے کیرالہ کا سالن۔

 ہلدی اور ادرک کا ایک ہی خاندان سے تعلق ہے۔ اس کی کاشت ہندوستان کی متعدد ریاستوں میں کی جاتی ہے۔

 فنانشل ایکسپریس کے مطابق ، دنیا بھر میں ہلدی کی کل پیداوار کا 75 فیصد سے زیادہ بھارت میں ہے۔ ہندوستان دنیا میں ہلدی کا سب سے بڑا برآمد کنندہ ہے اور یہاں اس کی کھپت بھی سب سے زیادہ ہے۔

 جنوبی ہند کی گرم اور مرطوب موسمی ریاستوں - آندھرا پردیش اور تمل ناڈو میں اعلی معیار کی ہلدی بڑے پیمانے پر تیار کی جاتی ہے۔

 یہ مئی اور اگست کے درمیان لگایا جاتا ہے اور جنوری تک ، فصل تیار ہونا شروع ہوجاتی ہے۔

 ہلدی کی فصل
 تصویری ماخذ ،
 آمین

 یہ تعجب کی بات نہیں ہے کہ جنوری کے وسط میں تامل ناڈو میں نئی ​​فصل کا جشن پونگل میں ہلدی کی جڑ اور پتے استعمال کیے جاتے ہیں۔

 ہلدی کے تازہ پتے اور اس کی جڑ ابلتے ہوئے دودھ کے برتن کے منہ پر بندھے ہوئے ہیں۔ اسے دولت کی علامت سمجھا جاتا ہے۔

 ہندوستان میں ہلدی ایک باورچی خانے کے مصالحے سے کہیں زیادہ ہے۔ ہندوستانی ثقافت میں اس کا ایک خاص مقام ہے۔

 بہت ساری ہندو برادریوں میں شادی جیسے اچھے موقعوں پر ہلدی کو زرخیزی اور خوشحالی کی علامت کے طور پر استعمال کیا جاتا ہے۔

 مثال کے طور پر ، شادی سے پہلے ہلدی کی ایک تقریب ہوتی ہے جس میں کنبہ کے عمائدین دلہا اور دلہن کے چہرے پر ہلدی لگاتے ہیں۔

 دلہن کے منگلسوتر کا دھاگہ ہلدی کے محلول میں بھی ڈوبا ہوا ہے۔ آج بھی ، ہلدی پاؤڈر شادی سمیت تمام اچھے مواقع پر پہنے ہوئے کپڑوں کے کسی بھی کونے میں لگایا جاتا ہے۔

 ہندوستانی خواتین اپنے گھریلو فیس پیک میں ایک چٹکی بھر ہلدی ڈالتی ہیں۔ ان کا ماننا ہے کہ ہلدی جلد کو صاف اور چمکدار بناتی ہے۔

 ہلدی
 تصویری ماخذ ، امیجز
 اصلی ہندوستانی مصالحہ

 ریشی کا کہنا ہے کہ ہندوستان کے بیشتر مصالحے تحقیقاتی مسافروں اور حملہ آوروں کو لاتے ہیں ، جیسے مرچ جنوبی امریکہ سے لایا گیا تھا اور مشرقی بحیرہ روم کے خطے سے جیرا۔ لیکن ہلدی پوری طرح سے ہندوستانی ہے۔

 "یہ ہمارا مسالا ہے۔ جس طرح سے ہم نے اسے پورے دل سے اپنایا ہے اور اس کی دواؤں کی خصوصیات میں ہمارا اعتقاد ہزاروں سال کی قربت پر مشتمل ہے۔"

 دس سال پہلے ، میں ایک لمبے درد کا علاج کرنے کے لئے کیرالا کے ایک آیورویدک اسپتال گیا تھا۔ اس نے میرے ساتھ ہلدی کا پیسٹ ، کچھ مالش اور دیگر ادویات کا علاج کیا۔

 تب ایک سینئر ویدیا نے مجھے بتایا کہ ہلدی کو آیور وید میں خارش سمجھا جاتا ہے۔ اس سے درد میں راحت ملتی ہے۔

 بہت سارے ہندوستانی ہلدی سے گھریلو علاج کرتے ہیں ، جیسے ٹخنوں میں موچ ، ہلدی کا پیسٹ لگائیں ، یا موسم سرما میں مفرور ہو تو ہلدی کے گانٹھ کے دھوئیں کو سونگھیں۔ یہ صدیوں سے آیور وید کے دوا کے روایتی نظام میں مستعمل ہے۔

 بنگلورو میں سوکیہ ہالسٹک ہیلتھ سینٹر کے بانی ڈاکٹر ایاز متھائی کا کہنا ہے کہ آیوروید انسانی جسم میں وٹہ ، پٹہ اور کافہ کی تین اقسام کی توانائی پر غور کرتی ہے۔

 "ہلدی واحد دوا ہے جو تینوں طرح کے دوشاوں کا علاج کرتی ہے۔"

 اس سے جلن کم ہوتا ہے۔ یہ بھی مانا جاتا ہے کہ ہلدی میں اینٹی آکسیڈینٹ اور اینٹی سیپٹک خصوصیات ہیں۔ اگرچہ ان طبی خصوصیات کے سائنسی ثبوت ابھی تک نہیں مل سکے ہیں۔

 ہلدی
 تصویری ماخذ Vnita پنجاب
 ہلدی کیمیائی خصوصیات

 ہلدی کو ایک چمکیلی پیلے رنگ کا رنگ اور کیمیکل جزو سے اس کی مبینہ دواؤں کی خصوصیات مل جاتی ہیں۔ اس کا نام کرکومین ہے۔

 ایک نظریہ کہتا ہے کہ کرکومین ہندوستانی کھانا پکانے میں تیل میں بھوننے کے اثر کو بڑھاتا ہے۔

 غذائیت کی ماہر اور 'دی ایلی ڈے سبزی خور' کی مصنف نندیتا ایئر کا کہنا ہے کہ ، "کرکومین ایک تیز گھلنشیل مرکب ہے۔ چربی کے ساتھ کرکومین کے اضافے سے اس کے جسم میں جذب ہونے کے امکانات بڑھ جاتے ہیں۔"

 اگر یہ صحیح ہے ، تو یہ میرے کانوں میں شہد گھولنے کے مترادف ہے۔ اس کا مطلب یہ ہے کہ میں بغیر کسی جرم کے ہلدی کا دودھ پینے سے انکار کرسکتا ہوں اور اس کی بجائے مسالیدار ہلدی اچار کھا سکتا ہوں۔

 ان لوگوں کے لئے جو مہنگے کیفے میں ہلدی لیٹ پینے کے لئے بہت بڑی رقم خرچ کرتے ہیں ، انھیں متنبہ کیا جانا چاہئے کہ یہ ان کی انضمام کی دوائیں نہیں ہیں۔ یہ اچھا ہے کہ وہ اسے کسی تندرش کی بجائے ہاٹ ڈرنک کی طرح پیتے ہیں۔



हळदी जितकी अधिक भारतीय आहे तितकीच ती अधिक शुभ आणि औषधी गुणांनी परिपूर्ण आहे * सामाजिक कार्यकर्ते वनिता कासाणी पंजाब द्वारा - राम राम जी * 🌹🙏🙏🌹
 हळद दुध
 प्रतिमा स्त्रोत, वनिता
 काही वर्षांपूर्वी लंडनमधील कॉफी शॉपमध्ये जेव्हा मी हळदीचे दूध प्रथम पाहिले तेव्हा मला विश्वास वाटला नाही. मेनूमध्ये त्यास 'गोल्डन मिल्क' असे नाव देण्यात आले.

 त्यात बदाम, थोडी दालचिनी आणि मिरपूड असलेल्या गोडपणासाठी त्यात नैसर्गिक अ‍ॅगवे सिरप जोडला गेला.

 मी त्यापूर्वी वाचणे थांबवले. कदाचित यामागील एक कारण म्हणजे मी त्याची महाग किंमत पाहिली होती. दुसरे म्हणजे, मला भारतातील हजारो आजींचे हसू आठवले.

 लहानपणी मी लहानपणीच्या आठवणींमध्ये हरवलो होतो जेव्हा माझी आई मला हळद हळद घालायला लावायची. तेथे नकार दिल्याबद्दल ओरड देखील झाली.

 जाहिरात

 त्या दुधात काही काजू नव्हते. साखर फक्त गोड करण्यासाठी उपलब्ध होती. शेवटच्या सिपमध्ये हळद तोंडात भरली. हिंदीमध्ये ज्याला हळदीचे दूध म्हणतात, माझी आई तामिळमध्ये पलील मंजल म्हणायची.

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 अरुणा तिर्की
 झारखंडमधील आदिवासींचे खाद्यपदार्थ बनविणा These्या या महिला
 समाप्त
 हळद
 प्रतिमा स्त्रोत,
 मसाले किंवा औषधी पदार्थ?

 घसा खवखवणे किंवा शरीरावर ताप असल्यास आई लगेच हळदीचे दूध देत असे. बरेच भारतीय यास द्रव रामबाण औषध मानतात.

 पाश्चात्य देशांनी गेल्या दशकातच हळदीचा शोध लावला आणि त्याला 'सुपरफूड' बनविण्यात उशीर केला नाही.

 त्यांनी चहा आणि कॉफीमध्ये हळदीची ताजी गठ्ठा मिसळली. तिचे सिरप बनविणे सुरू केले आणि ताबडतोब फायद्यासाठी हळदचे जाड पेय तयार केले.

 लंडननंतर मी सॅन फ्रान्सिस्को ते मेलबर्न पर्यंतच्या सर्व शहरांमध्ये कॅफे आणि कॉफी शॉपमध्ये हळदीचे पेय पाहिले आहे.

 हळदी हा बर्‍याच काळापासून भारतातील स्वयंपाकघरातील मुख्य घटक आहे. हे दोन प्रकारांमध्ये वापरले जाते - ढेंगांच्या स्वरूपात आणि आता हळद पावडरच्या रूपात देखील.

 माझ्या मासळदानीमध्ये हळद, मोहरी, मिरची आणि मिरची पावडर नेहमीच उपलब्ध असते. माझ्या आईलाही तसाच मसाला असायचा आणि त्याआधी तिच्या आईचीही तीच पद्धत होती.



 लंडनमध्ये हळद-दुधाची भरभराट

 पारंपारिक भारतीय स्वयंपाकघरात हळदीचा उपयोग अन्नामध्ये रंग घालण्यासाठी वापरला जातो, विशेषत: करी आणि मटनाचा रस्सा बनवण्यासाठी.

 हळदचे लोणचे हळदच्या ताजे आणि मऊ गठ्ठ्यांमधून देखील बनवले जाते, ज्यावर गरम तेलाची एक शिंपडली जाते. काही समाजात हळदीची पाने आच्छादित असतात व त्यामध्ये अन्न शिजवले जाते.

 'द फ्लेवर ऑफ स्पाइस' च्या लेखिका मरियम रेशी म्हणतात, "मी गोव्यातील माझ्या घरात हळद उगवतो आणि इथे प्रसिद्ध पाटोलीओ मिष्टान्न बनवतो."

 पाटोलिओ बनवण्यासाठी, गूळ भोपळ्यामध्ये मिसळा आणि हळदच्या दोन पानांच्या दरम्यान ठेवा. यानंतर ते वाफेने शिजवले जाते आणि त्यात हळद वास घेते.

 हळद दुध
 प्रतिमा स्त्रोत,
 हळद किती महत्त्वाची आहे?

 पारंपारिक खाद्यपदार्थांप्रमाणे हळद हे पारंपारिक भारतीय पाककृतींमध्ये महत्वाचे आहे काय? हे जाणून घेण्यासाठी मी मुंबईतील प्रसिद्ध बॉम्बे कॅन्टीन रेस्टॉरंटचे कार्यकारी शेफ थॉमस झकारिया यांच्याशी बोललो.

 जकारिया आपल्या रेस्टॉरंटमध्ये फक्त ताजे आणि स्थानिक साहित्य वापरतो. तो हळदीला "कमी स्वाद असलेल्या पार्श्वभूमी सामग्री" म्हणतो.

 "मला वाटते की भारतातील बहुतेक लोक हे अन्नाची चव वाढवण्यासाठी नव्हे तर त्यांच्या सवयीमुळे वापरतात."

 जेव्हा जेव्हा झकारियाला संधी मिळते तेव्हा मीन मोइली तयार करण्यासाठी ताजी हळदीचा उपयोग ते स्टार मटेरियल म्हणून करतात.

 हळद आणि आले एकाच कुटुंबातील आहेत. भारतातील बर्‍याच राज्यांत याची लागवड केली जाते.

 फायनान्शियल एक्स्प्रेसच्या म्हणण्यानुसार जगभरातील एकूण हळद उत्पादनाच्या 75 टक्क्यांहून अधिक उत्पादन भारतात आहे. हळदीची जगातील सर्वात मोठी निर्यात करणारा भारत आहे आणि त्याचा वापरही येथे सर्वाधिक आहे.

 दक्षिण भारत - आंध्र प्रदेश आणि तामिळनाडू या गरम आणि दमट हवामान राज्यात मोठ्या प्रमाणात हळद उत्पादन होते.

 हे मे आणि ऑगस्ट दरम्यान लागवड होते आणि जानेवारीपर्यंत, पीक तयार होण्यास सुरवात होते.

 हळद पीक
 प्रतिमा स्त्रोत,
 ओमेन

 जानेवारीच्या मध्यामध्ये तामिळनाडूमध्ये नवीन पिकाचा उत्सव पोंगलमध्ये हळदीची मुळे आणि पाने वापरली जातात यात काही आश्चर्य नाही.

 उकळत्या दुधाच्या भांड्याच्या तोंडावर हळद आणि तिचे मूळ ताजे पाने बांधली आहेत. हे संपत्तीचे प्रतीक मानले जाते.

 भारतातील हळद स्वयंपाकाच्या मसाल्यापेक्षा जास्त आहे. भारतीय संस्कृतीत याला विशेष स्थान आहे.

 अनेक हिंदू समाजात लग्नासारख्या शुभ प्रसंगी हळद सुपीकपणा आणि समृद्धीचे प्रतीक म्हणून वापरली जाते.

 उदाहरणार्थ, लग्नाच्या आधी हळदीचा सोहळा आहे ज्यामध्ये कुटुंबातील वडील वधू आणि वर यांच्या चेह tur्यावर हळद लावतात.

 वधूच्या मंगळसूत्राचा धागा हळद द्रावणातही बुडविला जातो. आजही लग्नासह सर्व शुभ प्रसंगी परिधान केलेल्या कपड्यांच्या कोप .्यात हळद घालतात.

 भारतीय महिला त्यांच्या घरगुती फेस पॅकमध्ये एक चिमूटभर हळद घालतात. त्यांचा असा विश्वास आहे की हळद त्वचा स्वच्छ आणि चमकदार बनवते.

 हळद
 प्रतिमा स्त्रोत, प्रतिमा
 खरा भारतीय मसाला

 रेशी म्हणतात की भारतातील बहुतेक मसाल्यांमध्ये दक्षिण अमेरिकेतून आणलेली मिरची आणि पूर्वेच्या भूमध्य प्रदेशातून जिरे सारख्या शोधक प्रवासी आणि आक्रमणकर्ते आले. पण हळद पूर्णपणे भारतीय आहे.

 "हा आमचा मसाला आहे. ज्या पद्धतीने आपण मनापासून त्याचा अवलंब केला आहे आणि औषधी गुणधर्मांवरील आमचा विश्वास हा हजारो वर्षांचा जवळीक आहे."

 दहा वर्षांपूर्वी मी केरळमधील आयुर्वेदिक रूग्णालयात दीर्घकाळापर्यंत दुखण्यावर उपचार करण्यासाठी गेलो होतो. त्याने माझ्यावर हळद पेस्ट, काही मालिश आणि इतर औषधे दिली.

 मग एका ज्येष्ठ वैद्यने मला सांगितले की आयुर्वेदात हळदी चिवचिवाट मानली जाते. यामुळे वेदना कमी होते.

 अनेक भारतीय हळदीसह घरगुती उपचार करतात, जसे की घोट्यात एक मोच, हळद पेस्ट लावा, किंवा हिवाळा जर फरफट असेल तर हळद गळुळ्याच्या धुराचा वास घ्या. आयुर्वेदाच्या पारंपारिक औषध प्रणालीत शतकानुशतके त्याचा उपयोग होत आहे.

 बंगळुरुमधील सौक्य होलिस्टिक हेल्थ सेंटरचे संस्थापक डॉ. अयाज मथाई म्हणतात की आयुर्वेद मानवी शरीरात तीन प्रकारची ऊर्जा मानतो - वात, पित्ता आणि कपा.

 "हळद हे एकमेव औषध आहे जे तीनही प्रकारचे दोष बरे करते."

 यामुळे चिडचिड कमी होते. असे मानले जाते की हळदीमध्ये अँटी-ऑक्सिडेंट आणि अँटी-सेप्टिक गुणधर्म असतात. जरी अद्याप या वैद्यकीय गुणधर्मांचे वैज्ञानिक पुरावे सापडलेले नाहीत.

 हळद
 प्रतिमा स्त्रोत Vnita पंजाब
 हळदचे रासायनिक गुणधर्म

 हळदला त्याचा चमकदार पिवळा रंग आणि रासायनिक घटकातून त्याचे कथित औषधी गुणधर्म मिळतात. त्याचे नाव कर्क्युमिन आहे.

 एका सिद्धांतात असे म्हटले आहे की भारतीय स्वयंपाकात तेलात तळण्याचे परिणाम कर्क्यूमिनमुळे वाढतात.

 न्युट्रिशनिस्ट आणि 'द एव्हली डे वेजिटेरियन' च्या लेखिका नंदिता अय्यर म्हणतात, "कर्क्यूमिन एक द्रुत विरघळणारा कंपाऊंड आहे. चरबीसह कर्क्यूमिन जोडल्यामुळे शरीरात ते शोषण्याची शक्यता वाढते."

 जर हे योग्य असेल तर ते माझ्या कानात मध वितळण्यासारखे आहे. याचा अर्थ असा की मी कोणत्याही निर्दोषतेशिवाय हळदीचे दूध पिण्यास नकार देऊ शकतो आणि त्याऐवजी मसालेदार हळद खाऊ शकतो.

 जे लोक महागड्या कॅफेमध्ये हळदीचे लाटे पिण्यासाठी मोठ्या प्रमाणावर पैसे खर्च करतात त्यांच्यासाठी चेतावणी दिली पाहिजे की हे त्यांचे सर्व विलीनीकरण औषध नाही. हे चांगले आहे की त्यांनी ते पॅनेसियाऐवजी गरम पेय म्हणून प्यावे.



పసుపు ఎంత భారతీయుడైతే, మరింత పవిత్రమైనది మరియు properties షధ గుణాలతో నిండి ఉంటుంది By * ద్వారా సామాజిక కార్యకర్త వనితా కసాని పంజాబే రామ్ రామ్ జీ *
 పసుపు పాలు
 చిత్ర మూలం, వినిత
 కొన్ని సంవత్సరాల క్రితం నేను లండన్లోని ఒక కాఫీ షాప్ లో పసుపు పాలను మొదటిసారి చూసినప్పుడు, నేను నమ్మలేకపోయాను. మెనూలో దీనికి 'గోల్డెన్ మిల్క్' అని పేరు పెట్టారు.

 బాదం, కొద్దిగా దాల్చినచెక్క మరియు నల్ల మిరియాలు తో తీపి కోసం సహజ కిత్తలి సిరప్ జోడించబడింది.

 అంతకు ముందే చదవడం మానేశాను. దీనికి ఖరీదైన కారణం నేను అతని ఖరీదైన ధరను చూశాను. రెండవది, భారతదేశంలోని వేలాది నానమ్మల చిరునవ్వు నాకు జ్ఞాపకం వచ్చింది.

 వేడి పసుపు తినిపించినందుకు నా తల్లి నన్ను మెప్పించేటప్పుడు కొంతకాలం నేను చిన్ననాటి జ్ఞాపకాలలో కోల్పోయాను. నిరాకరించినందుకు తిట్టడం కూడా జరిగింది.

 ప్రకటన

 ఆ పాలలో గింజలు లేవు. చక్కెర తీపిగా ఉండటానికి అందుబాటులో ఉంది. చివరి సిప్‌లో పసుపు నోటిలో నిండిపోయింది. పసుపు పాలు అని పిలువబడే హిందీలో, నా తల్లి పాలిల్ మంజల్ ను తమిళంలో పిలిచేవారు.

 దాటవేసి చదవండి.
 మరియు చదవండి
 సత్యజిత్ చౌరసియా
 సల్మాన్, హృతిక్, ఫర్హాన్ సిక్స్ ప్యాక్ అబ్స్ ఎవరు?
 ది గ్రేట్ ఇండియన్ కిచెన్
 ది గ్రేట్ ఇండియన్ కిచెన్: భారతీయ పురుషుల కపటత్వాన్ని బహిర్గతం చేసే ముఖ్యమైన చిత్రం
 బీచ్‌లో ఒక మహిళ, ఇద్దరు యువతులు
 భర్త మరణం, పిల్లలను పెంచడం మరియు విఫలమైన ప్రేమ కథలు
 అరుణ టిర్కీ
 జార్ఖండ్ యొక్క గిరిజన ఆహారాన్ని 'స్థితి చిహ్నంగా' చేసే ఈ మహిళలు
 ముగించు
 పసుపు
 చిత్ర మూలం,
 సుగంధ ద్రవ్యాలు లేదా పానీయాలు?

 గొంతు నొప్పి లేదా శరీర జ్వరం ఉంటే, తల్లి వెంటనే పసుపు పాలు ఇచ్చేది. చాలామంది భారతీయులు దీనిని ద్రవ వినాశనంగా భావిస్తారు.

 పాశ్చాత్య దేశాలు గత దశాబ్దంలోనే పసుపును కనుగొన్నాయి మరియు దానిని 'సూపర్ ఫుడ్' గా మార్చడంలో ఆలస్యం చేయలేదు.

 వారు పసుపు తాజా ముద్దలను టీ మరియు కాఫీలో కలిపారు. ఆమె సిరప్ తయారు చేయడం ప్రారంభించింది మరియు వెంటనే ప్రయోజనం కోసం పసుపు మందపాటి పానీయం సిద్ధం చేసింది.

 లండన్ తరువాత, శాన్ఫ్రాన్సిస్కో నుండి మెల్బోర్న్ వరకు అన్ని నగరాల్లోని కేఫ్‌లు మరియు కాఫీ షాపులలో పసుపు పానీయాలను చూశాను.

 పసుపు చాలా కాలంగా భారతదేశంలో ప్రధాన వంటగది పదార్థాలలో ఒకటి. ఇది రెండు రూపాల్లో ఉపయోగించబడుతుంది - ముద్దల రూపంలో మరియు ఇప్పుడు పసుపు పొడి రూపంలో కూడా.

 నా మసాల్దానీలో, ఆవాలు, జీలకర్ర మరియు కారం పొడితో పాటు పసుపు పొడి ఎల్లప్పుడూ లభిస్తుంది. నా తల్లికి ఇలాంటి సుగంధ ద్రవ్యాలు ఉండేవి మరియు అంతకు ముందు ఆమె తల్లికి అదే పద్ధతి ఉండేది.



 లండన్లో పసుపు-పాలు విజృంభణ

 సాంప్రదాయ భారతీయ వంటశాలలలో, పసుపును ఆహారానికి రంగును జోడించడానికి ఉపయోగిస్తారు, ముఖ్యంగా కూరలు మరియు ఉడకబెట్టిన పులుసు తయారీలో.

 పసుపు les రగాయలను పసుపు యొక్క తాజా మరియు మృదువైన ముద్దల నుండి కూడా తయారు చేస్తారు, దానిపై వేడి నూనె చల్లుకోవాలి. కొన్ని సమాజాలలో, పసుపు ఆకులు కప్పబడి, ఆహారాన్ని వండుతారు.

 'ది ఫ్లేవర్ ఆఫ్ స్పైస్' రచయిత మరియం రేషి మాట్లాడుతూ, "ఇక్కడ ప్రసిద్ధ పటోలియో డెజర్ట్ చేయడానికి గోవాలోని నా ఇంట్లో పసుపు పండిస్తాను."

 పటోలియో చేయడానికి, ముతక బియ్యంలో బెల్లం కలపండి మరియు పసుపు రెండు ఆకుల మధ్య ఉంచండి. దీని తరువాత, దీనిని ఆవిరితో వండుతారు మరియు దానిలో పసుపు వాసన వస్తుంది.

 పసుపు పాలు
 చిత్ర మూలం,
 పసుపు ఎంత ముఖ్యమైనది?

 సాంప్రదాయ ఆహారంలో పసుపు సాంప్రదాయ భారతీయ వంటకాల్లో ముఖ్యమైనదా? ఇది తెలుసుకోవటానికి, నేను ముంబైకి చెందిన ప్రసిద్ధ ది బాంబే క్యాంటీన్ రెస్టారెంట్ ఎగ్జిక్యూటివ్ చెఫ్ థామస్ జకారియాతో మాట్లాడాను.

 జకారియా తన రెస్టారెంట్‌లో తాజా మరియు స్థానిక పదార్థాలను మాత్రమే ఉపయోగిస్తాడు. అతను పసుపును "తక్కువ రుచులతో నేపథ్య పదార్థం" అని పిలుస్తాడు.

 "భారతదేశంలో చాలా మంది ప్రజలు దీనిని అలవాటు కారణంగా ఉపయోగిస్తున్నారు, ఆహార రుచిని పెంచకూడదు."

 జకారియాకు అవకాశం వచ్చినప్పుడల్లా, మీన్ మొయిలీని తయారు చేయడానికి కేరళ కూర వంటి తాజా పసుపును స్టార్ మెటీరియల్‌గా ఉపయోగిస్తాడు.

 పసుపు మరియు అల్లం ఒకే కుటుంబానికి చెందినవి. ఇది భారతదేశంలోని అనేక రాష్ట్రాల్లో సాగు చేస్తారు.

 ఫైనాన్షియల్ ఎక్స్‌ప్రెస్ ప్రకారం, ప్రపంచవ్యాప్తంగా పసుపు ఉత్పత్తిలో 75 శాతానికి పైగా భారతదేశంలో ఉన్నాయి. పసుపు ఎగుమతి చేసే ప్రపంచంలో భారతదేశం అత్యధికంగా ఉంది మరియు దాని వినియోగం కూడా ఇక్కడ ఎక్కువగా ఉంది.

 దక్షిణ భారతదేశంలోని వేడి మరియు తేమతో కూడిన వాతావరణ రాష్ట్రాలలో - ఆంధ్రప్రదేశ్ మరియు తమిళనాడులలో అధిక నాణ్యత గల పసుపును పెద్ద ఎత్తున ఉత్పత్తి చేస్తారు.

 దీనిని మే మరియు ఆగస్టు మధ్య పండిస్తారు మరియు జనవరి నాటికి పంట సిద్ధంగా ఉంటుంది.

 పసుపు పంట
 చిత్ర మూలం,
 శకునము

 జనవరి మధ్యలో తమిళనాడులో కొత్త పంటను జరుపుకునే పొంగల్‌లో పసుపు రూట్ మరియు ఆకులను ఉపయోగించడం ఆశ్చర్యం కలిగించదు.

 పసుపు యొక్క తాజా ఆకులు మరియు దాని మూల ఉడకబెట్టిన పాలు కుండ నోటిపై కట్టివేయబడతాయి. ఇది సంపదకు చిహ్నంగా పరిగణించబడుతుంది.

 భారతదేశంలో పసుపు వంటగది మసాలా కంటే ఎక్కువ. భారతీయ సంస్కృతిలో దీనికి ప్రత్యేక స్థానం ఉంది.

 అనేక హిందూ సమాజాలలో, పసుపును వివాహం వంటి శుభ సందర్భాలలో సంతానోత్పత్తి మరియు శ్రేయస్సు యొక్క చిహ్నంగా ఉపయోగిస్తారు.

 ఉదాహరణకు, పెళ్లికి ముందు పసుపు వేడుక ఉంది, దీనిలో కుటుంబ పెద్దలు వధూవరుల ముఖానికి పసుపు పూస్తారు.

 వధువు మంగళసూత్రం యొక్క దారం కూడా పసుపు ద్రావణంలో మునిగిపోతుంది. నేటికీ, వివాహంతో సహా అన్ని శుభ సందర్భాలలో ధరించే బట్టల యొక్క ఏ మూలనైనా పసుపు పొడి వర్తించబడుతుంది.

 భారతీయ మహిళలు తమ దేశీయ ఫేస్ ప్యాక్‌లకు చిటికెడు పసుపును కలుపుతారు. పసుపు చర్మం స్పష్టంగా మరియు మెరిసేలా చేస్తుందని వారు నమ్ముతారు.

 పసుపు
 చిత్ర మూలం, చిత్రాలు
 రియల్ ఇండియన్ మసాలా

 భారతదేశంలోని సుగంధ ద్రవ్యాలు చాలావరకు పరిశోధనాత్మక ప్రయాణికులను మరియు ఆక్రమణదారులను తెచ్చాయని రేషి చెప్పారు, దక్షిణ అమెరికా నుండి తెచ్చిన మిరపకాయ మరియు తూర్పు మధ్యధరా ప్రాంతం నుండి జీలకర్ర. కానీ పసుపు పూర్తిగా భారతీయుడు.

 "ఇది మా మసాలా. మేము దానిని హృదయపూర్వకంగా స్వీకరించిన విధానం మరియు దాని properties షధ గుణాలపై మన నమ్మకం వేల సంవత్సరాల సాన్నిహిత్యంతో రూపొందించబడింది."

 పదేళ్ల క్రితం దీర్ఘకాలిక నొప్పికి చికిత్స కోసం కేరళలోని ఆయుర్వేద ఆసుపత్రికి వెళ్లాను. అతను పసుపు పేస్ట్, కొన్ని మసాజ్ మరియు ఇతర మందులతో నాకు చికిత్స చేశాడు.

 అప్పుడు ఆయుర్వేదంలో పసుపును చికాకుగా భావిస్తానని ఒక సీనియర్ వైద్య నాకు చెప్పారు. ఇది నొప్పిలో ఉపశమనం ఇస్తుంది.

 చాలామంది భారతీయులు చీలమండలో బెణుకు వంటి పసుపుతో ఇంటి నివారణలు చేస్తారు, పసుపు పేస్ట్‌ను వర్తింపజేస్తారు, లేదా శీతాకాలం పారిపోతే పసుపు ముద్ద యొక్క పొగను వాసన చూస్తారు. ఇది ఆయుర్వేద సంప్రదాయ వైద్య విధానంలో శతాబ్దాలుగా ఉపయోగించబడుతోంది.

 ఆయుర్వేదం మానవ శరీరంలో మూడు రకాల శక్తిని పరిగణిస్తుంది - వాటా, పిట్ట మరియు కఫా అని బెంగళూరులోని సాక్యా హోలిస్టిక్ హెల్త్ సెంటర్ వ్యవస్థాపకుడు డాక్టర్ అయాజ్ మథాయ్ చెప్పారు.

 "మూడు రకాల దోషాలను నయం చేసే ఏకైక medicine షధం పసుపు."

 ఇది చికాకును తగ్గిస్తుంది. పసుపులో యాంటీ ఆక్సిడెంట్ మరియు యాంటీ సెప్టిక్ లక్షణాలు ఉన్నాయని కూడా నమ్ముతారు. ఈ వైద్య లక్షణాలకు శాస్త్రీయ ఆధారాలు ఇంకా కనుగొనబడలేదు.

 పసుపు
 చిత్ర మూలం Vnita punjab
 పసుపు యొక్క రసాయన లక్షణాలు

 పసుపు దాని ప్రకాశవంతమైన పసుపు రంగును మరియు రసాయన భాగం నుండి దాని ఆరోపించిన properties షధ లక్షణాలను పొందుతుంది. దీని పేరు కర్కుమిన్.

 కర్కుమిన్ భారతీయ వంటలో నూనెలో వేయించే ప్రభావాన్ని పెంచుతుందని ఒక సిద్ధాంతం చెబుతోంది.

 న్యూట్రిషనిస్ట్ మరియు 'ది ఎవ్రీడే వెజిటేరియన్' రచయిత నందిత అయ్యర్, "కర్కుమిన్ వేగంగా కరిగే సమ్మేళనం. కొవ్వుతో కర్కుమిన్ చేర్చుకోవడం వల్ల అది శరీరంలో కలిసిపోయే అవకాశాలు పెరుగుతాయి."

 ఇది సరైనది అయితే, అది నా చెవుల్లో తేనెను కరిగించినట్లుగా ఉంటుంది. దీని అర్థం నేను ఎటువంటి అపరాధం లేకుండా పసుపు పాలు తాగడానికి నిరాకరించగలను మరియు బదులుగా మసాలా పసుపు pick రగాయలు తినగలను.

 ఖరీదైన కేఫ్లలో పసుపు లాట్ తాగడానికి పెద్ద మొత్తంలో డబ్బు ఖర్చు చేసేవారికి, ఇదంతా వారి విలీన .షధం కాదని హెచ్చరించాలి. వారు దీనిని వినాశనానికి బదులుగా వేడి పానీయంగా తాగడం మంచిది.

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🌹🪴स्वास्थ्य घरेलू नुस्खे 🪴🌹 अपराजिता फूल, नीले मटर के अद्भुत स्वास्थ्य लाए By वनिता कासनियां पंजाब !! अपराजिता अपराजिता – क्लिटोरिया टर्नाटिया अपराजिता क्लिटोरिया टर्नाटिया, जिसे आमतौर पर नीले मटर या बटरफ्लाई मटर के रूप में जाना जाता है, फली/बीन परिवार से संबंधित एक पौधे की प्रजाति है। भारत में, यह एक प्रकार का पवित्र फूल है, जिसका उपयोग दैनिक पूजा अनुष्ठानों में किया जाता है। इस बेल के फूलों में मानव महिला जननांगों का आकार होता है, इस प्रकार "क्लिटोरिस" शब्द से क्लिटोरिया नाम दिया गया है। जैसा कि नाम से पता चलता है अपराजिता (अर्थ, अपराजित), वास्तु शास्त्र के अनुसार। - इस बेल को अपने घर में लगाना ऊर्जाओं को शुद्ध करेगा और आपके दैनिक जीवन में विभिन्न प्रकार की पराजयों से हमेशा आपकी रक्षा करेगा। पारंपरिक आयुर्वेदिक चिकित्सा में, इसका उपयोग विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जाता है, जैसे स्मृति बढ़ाने, एंटीस्ट्रेस, एंटीडिप्रेसेंट, ट्रैंक्विलाइजिंग और शामक गुण। पारंपरिक चीनी चिकित्सा के अनुसार, पौधा अपनी समान उपस्थिति के कारण महिला कामेच्छा को सकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। फूल फाइबर और प्राकृतिक खाद्य रंग के लिए प्राकृतिक रंग के रूप में भी काम करता है। बेल के विभिन्न भाषाओं में नाम – हिन्दी – अपराजिता, कोयल, कालीजार अंग्रेजी - बटरफ्लाई मटर), ब्लू मटर, कबूतर के पंख संस्कृत - गोकर्णी, गिरिकर्णी, योनिपुष्पा, विष्णुक्रान्ता, अपराजिता उड़िया - ओपराजिता उर्दू - मजेरियुनिहिन्दी कन्नड़ - शंखपुष्पबल्ली, गिरिकर्णिका, गिरिकार्णीबल्ली कोंकणी-काजुली गुजराती - गरानी, ​​कोयला तमिल - कक्कानम, तरुगन्नी तेलुगू - डिंटेना, नल्लावुसिनितिगे पंजाबी - धनांतर अपराजिता का फूल घरों में आसानी से उग जाता है और विभिन्न दुकानों पर आसानी से उपलब्ध होता है। यह पौधा हमें स्वास्थ्य से लेकर आध्यात्मिक तक अनेक लाभ प्रदान करता है। अपराजिता फूल – बटरफ्लाई मटर के अद्भुत स्वास्थ्य लाभ आधासीसी दूर करे – अपराजिता के फूल के बीज और जड़ को बराबर मात्रा में लेकर पानी के साथ सेवन करने से आधासीसी ठीक हो जाता है। आंखों की रोशनी बढ़ाने और आंखों के रोगों को दूर करने में मदद करता है- ब्लू टी*, अपराजिता के फूलों की चाय का सेवन आंखों के रोगों को दूर करता है और आंखों की रोशनी बढ़ाता है। ब्लू टी बनाने के स्टेप्स- अपराजिता के कुछ फूल लेकर उसका हरा भाग हटा दें। इन फूलों की पंखुड़ियों को पानी में कुछ मिनट तक उबालें। नींबू की कुछ बूंदें डालें, छानें और ब्लू टी का आनंद लें। स्वाद के साथ उपचार 😁। कान के दर्द में सहायक – अपराजिता के फूल की पंखुड़ियों के रस का पेस्ट कान के दर्द को ठीक करने में मदद कर सकता है। कान के दर्द में सहायक – अपराजिता के फूल की पंखुड़ियों के रस का पेस्ट कान के दर्द को ठीक करने में मदद कर सकता है। पेस्ट तैयार करने के चरण: कुछ अपराजिता की पंखुड़ियां लेकर उसका रस निकाल लें और रस को सूखने दें। रस को गर्म करके तैयार पेस्ट को कान के चारों ओर लगाएं, इससे दर्द ठीक हो जाएगा। दांत का दर्द ठीक करता है - काली मिर्च के साथ पौधे की जड़ का लेप करने से दांत का दर्द ठीक हो जाता है। पेस्ट तैयार करने के चरण: इस पौधे की जड़ को लेकर इसका पेस्ट तैयार कर लें। इस पेस्ट में थोड़ी सी काली मिर्च मिलाकर मुंह में रख लें। इसने गंभीर दांत दर्द में बेहद सकारात्मक परिणाम दिखाए हैं। अपच और अम्लपित्त दूर करता है अपराजिता की जड़ का चूर्ण गाय के दूध या गाय के घी में मिलाकर सेवन करने से अपच और अम्लपित्त की समस्या में लाभ होता है। गठिया से राहत दिलाने में मदद करता है- इसके पत्तों को पीसकर जोड़ों पर लगाने से गठिया से राहत मिलती है। इसके अलावा, 1-2 ग्राम पौधे की जड़ का चूर्ण या तो पानी या दूध के साथ दिन में 2-3 बार सेवन करने से गठिया से राहत मिलती है। बालों के विकास को उत्तेजित करता है और बालों का गिरना कम करता है- रोजाना ब्लू टी* का सेवन बालों के झड़ने को रोकने के साथ-साथ बालों के विकास को रोक सकता है। चमकती त्वचा प्रदान करता है- एक कप गर्म नीली चाय * नियमित रूप से पीने से बिना पचे हुए खाद्य कण सिस्टम से बाहर निकल जाते हैं, जिससे हमें स्वस्थ और चमकदार त्वचा मिलती है। मूड को अच्छा करने में मदद करता है – ब्लू टी* का सेवन करने से तनाव दूर होता है जो व्यक्ति के मूड और धातु की स्थिति को ऊपर उठाने के साथ-साथ चिंता के लक्षणों को कम करने में भी मदद कर सकता है। ऐसी सभी जड़ी-बूटियों के शारीरिक और मानसिक उपचार में उपयोग के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए, आप हमारे स्वास्थ्य घरेलू नुस्खे पाठ्यक्रम (टीटीसी) में नामांकन करा सकते हैं।

 🌹🪴स्वास्थ्य घरेलू नुस्खे 🪴🌹 अपराजिता फूल, नीले मटर के अद्भुत स्वास्थ्य लाए

घरेलू नुस्खे,

2021 के लिए 20 स्वास्थ्य सुझाव। 20 health tips for 2021 *By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब* 🌹🙏🙏🌹 एक नए दशक की शुरुआत एक स्वस्थ जीवन शैली सहित, किसी के जीवन को बेहतर बनाने के लिए नए संकल्पों के साथ लाती है। 2021 में स्वस्थ जीवन की दिशा में शुरुआत करने में आपकी मदद करने के लिए 20 व्यावहारिक स्वास्थ्य सुझाव दिए गए हैं। 1. स्वस्थ आहार खाएं फल, सब्जियां, फलियां, नट्स और साबुत अनाज सहित विभिन्न खाद्य पदार्थों के संयोजन का सेवन करें। वयस्कों को प्रति दिन फल और सब्जियों के कम से कम पांच हिस्से (400 ग्राम) खाने चाहिए। आप हमेशा अपने भोजन में सब्जियों को शामिल करके अपने फलों और सब्जियों के सेवन में सुधार कर सकते हैं; नाश्ते के रूप में ताजे फल और सब्जियां खाने; विभिन्न प्रकार के फल और सब्जियां खाना; और उन्हें मौसम में खा रहा है। स्वस्थ भोजन करने से, आप अपने कुपोषण और गैर-रोगजनक बीमारियों (एनसीडी) जैसे मधुमेह, हृदय रोग, स्ट्रोक और कैंसर के जोखिम को कम कर देंगे। 2. नमक और चीनी का कम सेवन करें फिलिपिनो सोडियम की अनुशंसित मात्रा का दोगुना सेवन करते हैं, जिससे उन्

पान खाने के क्या 5 लाभ By वनिता कासनियां पंजाब ?Paan Ke Fayde: आयुर्वेद, चरक संहिता, सुश्रुत संहिता आदि में पान के पत्ते को काफी स्वास्थ्यवर्धक बताया गया है. पुराने समय में राजा-महाराजा हर रात खाना खाने के बाद पान चबाना पसंद करते थे. पान के सेवन से शादीशुदा पुरुषों को कमाल के फायदे मिलते हैं. यह उनकी सेक्शुअल हेल्थ के लिए लौंग, सौंफ या इलायची के नुस्खों से बहुत ही ज्यादा कारगर उपाय साबित होता है. लेकिन पान के फायदे (Paan Ka Patta) और भी बहुत होते हैं.पान के पत्ते के फायदे (Benefits of Betel Leaf)देश में आयुर्वेद के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे आयुर्वेदिक एक्सपर्ट डॉ. अबरार मुल्तानी ने पान के पत्ते को स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक बताता है. यह हृदय के लिए बेहतरीन टॉनिक का भी काम करता है. उनके मुताबिक, इसमें एंटी-डायबिटिक, एंटी-इंफ्लामेटरी, एंटी-इंफेक्टिव, एंटी-सेप्टिक और दुर्गंध दूर करने वाले गुण होते हैं. इसके साथ इसमें सौंफ, सुपारी, इलायची, लौंग व गुलकंद मिलाने से यौन स्वास्थ्य को मजबूती भी मिलती है.1. पुरुषों के लिए लौंग, सौंफ या इलायची से बहुत ज्यादा गुणकारी है 1 पानआयुर्वेदिक एक्सपर्ट के मुताबिक, 1 पान खाने से पुरुषों की सेक्शुअल लाइफ को चमत्कारिक फायदे प्राप्त होते हैं. यह लौंग, सौंफ या इलायची के किसी भी नुस्खे से बहुत ज्यादा असरदार होता है. क्योंकि, इसमें आपको इन चीजों के साथ गुलकंद और सुपारी भी मिलती हैं. पान के साथ यह सभी चीजें शादीशुदा पुरुषों के यौन स्वास्थ्य के लिए बहुत ज्यादा प्रभावशाली हो जाती हैं. इससे पुरुषों में कामेच्छा में कमी (लिबिडो), , टेस्टोस्टेरोन में कमी, आदि सुधर जाता है.2. कब्ज से राहत दिलाता है पानआयुर्वेद में कब्ज के इलाज के लिए पान को काफी असरदार बताया गया है. यह शरीर में पीएच लेवल को सामान्य बनाता है और पेट की परेशानी से राहत प्रदान करता है. इसके लिए आप पान के पत्ते के टुकड़े करके एक गिलास पानी में डालकर रातभर रख दें. यह पानी अगली सुबह खाली पेट पी लें.3. कटने, खुजली व जलन से राहतडॉ. अबरार मुल्तानी का कहना है कि अगर किसी चीज से कटने, खुजली व जलन के कारण आपको समस्या हो रही है, तो आप पान के पत्ते का उपयोग कर सकते हैं. इसके एनलजेसिक गुण तुरंत राहत प्रदान करते हैं. इसके लिए पान के पत्ते का पेस्ट बनाएं और प्रभावित जगह पर लगाएं. यह त्वचा के अंदर जाकर दर्द व जलन से राहत दिलाता है.4. संक्रमण या सेप्टिक से राहतपान के पत्ते में एंटी-सेप्टिक व एंटी-फंगल गुण होते हैं, जो फंगल इंफेक्शन व सेप्टिक होने से राहत देते हैं| इसके लिए आपको पान के पत्ते का पेस्ट प्रभावित जगह पर लगाना होता है| पान के पत्ते का उपयोग जोड़ों के दर्द से राहत पाने के लिए भी किया जाता है|5. मुंह की दुर्गंध के लिए पानपान खाने से मुंह की दुर्गंध दूर होती है| इसमें काफी मात्रा में एंटी-माइक्रोबियल गुण होते हैं, जो मुंह की दुर्गंध का कारण बनने वाले बैक्टीरिया का खात्मा कर देते हैं. इसके अलावा यह दांतों में होने वाली कैविटी, प्लेक, सड़न, सूजन, दर्द आदि से भी राहत देता है| राजा-महाराजा अपना यौन स्वास्थ्य सुधारने के साथ मुंह की दुर्गंध भागने के लिए भी हर रात खाना खाने के बाद पान चबाना पसंद करते थे|यहां दी गई जानकारी किसी भी चिकित्सीय सलाह का विकल्प नहीं है| यह सिर्फ शिक्षित करने के उद्देश्य से दी जा रही है|

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