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पीरियड्स किसी को पेनफुल, गंदे और असुविधाजनक लग सकते हैं। उस एक हफ्ते के दौरान हम शारीरिक और भावनात्मक कई तरह की समस्याओं का एक साथ सामना करते हैं। पर कभी-कभी जब हमें वहां सूखा महसूस होने लगता है और पीरियड्स के अंत पर पहुंच जाते हैं, तब पीरियड रैश एक नई समस्या बनकर हमें परेशान कर देते हैं। क्या आप जानती हैं कि ये क्यों होते हैं? नहीं! तो आइए जानते हैं इनका कारण और बचाव (How to get rid of periods rash) के उपाय। By वनिता कासनियां पंजाबक्या है पैड रैश की वजहसैनिटरी पैड पहनने से मूवमेंट के दौरान फ्रिक्शन के कारण दाने हो सकते हैं। सेंटर फॉर यंग वुमन्स हेल्थ के अनुसार, चलना, दौड़ना और शारीरिक गतिविधि रैश का कारण बन सकती है। साथ ही, इन दिनों नमी के कारण भी दाने या रैशेज हो सकते हैं।इसकी मुख्य वजह सैनिटरी पैड का इस्तेमाल ही है। इन पैड्स में मौजूद केमिकल आपकी त्वचा को योनि और जांघ के अंदरूनी हिस्सों में परेशान कर सकते हैं।पीरियड्स के दौरान होने वाले रैशेज से राहत पाने के लिए यहां कुछ घरेलू उपाय दिए गए हैं।1 नीमनीम के पत्तों में एंटीऑक्सिडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो पैड रैश से राहत दिलाने में मदद करते हैं। आपको बस एक बर्तन में पानी उबालना है, पानी में लगभग 20 नीम की पत्तियां डालनी है और इसे कुछ देर के लिए रिसने देना है। पानी को आंच से उतार लें और ठंडा होने दें। एक बार जब यह कमरे के तापमान पर आ जाए, तो इसका इस्तेमाल प्रभावित क्षेत्र को धोने के लिए करें। आप इसे एक बाल्टी पानी में भी मिला सकती हैं और इससे नहा सकती हैं। नीम आपकी त्वचा के लिए अच्छा होता है।neem waterनीम आपकी त्वचा को राहत पहुंचा सकता है। चित्र : शटरस्टॉक2 बर्फ़बर्फ दर्द और सूजन को कम करती है। आपको बस इतना करना है कि एक दो बर्फ के टुकड़े लें, उन्हें एक साफ कपड़े में लपेटकर प्रभावित क्षेत्रों पर लगाएं। इससे आपको सूजन या जलन से राहत मिलेगी और आप तुरंत बेहतर महसूस करेंगी।3 नारियल का तेलकोकोनट ऑयल अपने जीवाणुरोधी गुणों के लिए जाना जाता है। यह पैड रैश के लिए एक बेहतरीन उपाय है। साथ ही, यह आपकी त्वचा को मॉइस्चराइज भी करता है। रात को सोने से पहले प्रभावित हिस्से को ठंडे पानी से साफ करें और कॉटन बॉल से प्रभावित जगह पर नारियल का तेल लगाएं। इसे रात भर रहने दें। आप इसे सुबह नहाने के बाद भी लगा सकती हैं।पीरियड के दौरान पैड का इस्तेमाल करते समय इन बातों का रखें ध्यानअगर आप चाहें तो किसी अन्य ब्रांड पर स्विच करना या कॉटन पैड का उपयोग कर सकती हैं। आप अन्य उत्पादों जैसे मेंस्ट्रुअल कप, टैम्पोन या कॉटन पैड का विकल्प भी चुन सकती हैं।पीरियड्स के दौरान सिंथेटिक या तंग कपड़े न पहनें क्योंकि इससे स्थिति बढ़ सकती है।यदि पैड का इस्तेमाल कर रही हैं तो खुशबू वाले पैड्स का इस्तेमाल न करें, उनमें कैमिलकल्स ज़्यादा होते हैं।स्वच्छता बनाए रखें और दिन में 3 से 4 बार पैड पैड बदलें। इससे इन्फेक्शन नहीं होगा।ढीले कपड़े पहनने की कोशिश करें, जो हवादार हों।यह भी पढ़ें : ,

पीरियड्स किसी को पेनफुल, गंदे और असुविधाजनक लग सकते हैं। उस एक हफ्ते के दौरान हम शारीरिक और भावनात्मक कई तरह की समस्याओं का एक साथ सामना करते हैं। पर कभी-कभी जब हमें वहां सूखा महसूस होने लगता है और पीरियड्स के अंत पर पहुंच जाते हैं, तब पीरियड रैश एक नई समस्या बनकर हमें परेशान कर देते हैं। क्या आप जानती हैं कि ये क्यों होते हैं? नहीं! तो आइए जानते हैं इनका कारण और बचाव (How to get rid of periods rash) के उपाय। By  वनिता कासनियां पंजाब क्या है पैड रैश की वजह सैनिटरी पैड पहनने से मूवमेंट के दौरान फ्रिक्शन के कारण दाने हो सकते हैं। सेंटर फॉर यंग वुमन्स हेल्थ के अनुसार, चलना, दौड़ना और शारीरिक गतिविधि रैश का कारण बन सकती है। साथ ही, इन दिनों नमी के कारण भी दाने या रैशेज हो सकते हैं। इसकी मुख्य वजह सैनिटरी पैड का इस्तेमाल ही है। इन पैड्स में मौजूद केमिकल आपकी त्वचा को योनि और जांघ के अंदरूनी हिस्सों में परेशान कर सकते हैं। पीरियड्स के दौरान होने वाले रैशेज से राहत पाने के लिए यहां कुछ घरेलू उपाय दिए गए हैं। 1 नीम नीम के पत्तों में एंटीऑक्सिडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, ज

कोविड-19 के बाद पहले से ज्यादा लोगों ने घुटनों और जोड़ों में दर्द की शिकायत की है। बढ़ती उम्र का संकेत माना जाने वाला घुटनों का दर्द अब हर उम्र के लोगों को परेशान कर रहा है। जिससे हमारी दूसरी शारीरिक गतिविधियां भी प्रभावित होने लगती हैं। योग आसनों की मदद से घुटनों के दर्द से राहत मिलती है। योगासन न सिर्फ मांसपेशियों को मजबूत बनाते हैं, बल्कि एड़ियों, जांघों और घुटनों को भी मजबूती देते हैं। यहां जानते हैं उन योगासनों (Yoga for knee pain) के बारे में जो आपके घुटनों को मजबूती और दर्द से राहत प्रदान करते हैं। योगाचार्य सालू जी कसनिया बताते हैं, ‘कई योगासन को हमें अपने नियमित अभ्यास में शामिल (How yogasana reduce knee pain) करना चाहिए। इससे घुटनों के दर्द में बहुत आराम पहुंचता है।’https://pratilipi.page.link/GpB51HmkVEBNhXbs5यहां हैं 4 योगासन, जो घुटनों के दर्द को कम करने में मदद करते हैं1 जानु शिरासन (Head To Knee Pose) दोनों पैर सामने की ओर फैलाकर बैठ जाएं।बायें पैर को मोड़कर इस तरह रखें कि एड़ी पेरेनियम से छूती रहे और बायें पैर का पंजा दायीं जांघ से सटा रहे।दोनों हाथ से तलवे और अंगूठे को पकड़ें।सांस लें और सांस छोड़ते हुए आगे की ओर झुकें। सिर घुटने से सटायें।सांस बाहर रोककर जितनी देर तक इस स्थिति में संभव हो रुकें। सांस लेते हुए सीधी हो जाएं।इस क्रिया को बायां पैर फैलाकर और दायें पैर को मोड़कर बायीं जांघ से सटाकर करें।सांस लेने और छोड़ने की क्रिया पहले की तरह होगी।2 पश्चिमोत्तान आसन (Seated Forward Bend Pose)पैरों को सामने की ओर फैलाकर बैठ जाएं। दोनों पैरों को सटाकर रखें।सांस लेते हुए दोनों हाथों को कंधे की सीध में सिर के ऊपर उठाएं और सांस छोड़ते हुए आगे की ओर झुकें।इस स्थिति में जितनी देर रह सकते हैं रहें फिर सांस लेते हुए हाथ अौर पूरे शरीर को ऊपर उठाएं।5-10 बार यह क्रिया करें।इस आसन से कमर और नितंब की मांसपेशियां स्वस्थ होती हैं। पेट की अनावश्यक चर्बी कम होती है। कब्ज तथा मोटापा दूर होता है। साइटिका या लंबे समय से जो लोग ज्वाइंट पेन से परेशान हैं, वे इस आसन को न करें।3 ताड़ासन (Mountain Pose)सीधी खड़ी हो जाएं। दोनों पैरों के बीच 4-6 इंच की निश्चित दूरी रखें। अपनी नजर सामने की किसी वस्तु पर टिका लें।दोनों हाथों की अंगुलियां एक-दूसरे से फंसा लें।अब सांस लेते हुए हाथों को सिर से ऊपर उठाएं।पंजों पर खड़े होकर ऊपर हाथों की ओर देखें। हथेलियां ऊपर की ओर रहेंगी।पूरे शरीर को ऊपर की ओर खींचें।कुछ देर तक सांस रोककर उसी स्थिति में रहें। सांस छोड़ते हुए हाथों को नीचे लाएं और एड़ी को जमीन पर टिका लें।tadasana ka tareekaताड़ासन करने का सही तरीका। चित्र-शटरस्टॉक.इस क्रिया को करते समय अपने आप को ऊपर की ओर खींचने की कोशिश करें।इसे कम से कम 10 बार करें।यह रीढ़ की हड्डी को भी मजबूत करता है।http://vnitak.blogspot.com/2022/08/check-this-post-from.html4 त्रिकोणासन (Triangle Pose)सीधी खड़ी हो जाएं। पैरों को फैला लें। दोनों पैरों के बीच की दूरी 2-3 फीट होनी चाहिए।सांस लेते हुए दोनों हाथों को कंधों की ऊंचाई पर एक ही सीध में यानी आड़ी रेखा के रूप में फैला लें।अब दायें घुटने को थोड़ा मोड़ते हुए सांत छोड़ें। सांस छोड़ते हुए शरीर को दायीं ओर झुकाएं एवं अंगुलियों से पैर की अंगुलियों को छुएं।नजर ऊपर की ओर रखें।इस क्रिया को दूसरी ओर से भी करें। इसमें भी सांस लेना और सांस छोड़ना पहले की तरह रहेगा।Trikonasana ke fayadeत्रिकोणासन का करें अभ्यास। चित्र : शटरस्टॉकआचार्य कौशल कहते हैं कि एक पाद उत्तान आसन (Raised Feet Pose), पवन मुक्तासन (Wind Relieving Pose ) भी घुटने के दर्द से राहत दिलाते हैं। नाड़ी शोधन (Channel Cleaning Breathing) और उज्जयी प्राणायाम(Breath Regulating Technique) भी इसमें लाभदायी होते हैं।http://vnitak.blogspot.com/2022/08/check-this-post-from.html

कोविड-19 के बाद पहले से ज्यादा लोगों ने घुटनों और जोड़ों में दर्द की शिकायत की है। बढ़ती उम्र का संकेत माना जाने वाला घुटनों का दर्द अब हर उम्र के लोगों को परेशान कर रहा है। जिससे हमारी दूसरी शारीरिक गतिविधियां भी प्रभावित होने लगती हैं। योग आसनों की मदद से घुटनों के दर्द से राहत मिलती है। योगासन न सिर्फ मांसपेशियों को मजबूत बनाते हैं, बल्कि एड़ियों, जांघों और घुटनों को भी मजबूती देते हैं। यहां जानते हैं उन योगासनों (Yoga for knee pain) के बारे में जो आपके घुटनों को मजबूती और दर्द से राहत प्रदान करते हैं।  योगाचार्य सालू जी कसनिया बताते हैं, ‘कई योगासन को हमें अपने नियमित अभ्यास में शामिल (How yogasana reduce knee pain) करना चाहिए। इससे घुटनों के दर्द में बहुत आराम पहुंचता है।’ https://pratilipi.page.link/GpB51HmkVEBNhXbs5 यहां हैं 4 योगासन, जो घुटनों के दर्द को कम करने में मदद करते हैं 1 जानु शिरासन (Head To Knee Pose)  दोनों पैर सामने की ओर फैलाकर बैठ जाएं। बायें पैर को मोड़कर इस तरह रखें कि एड़ी पेरेनियम से छूती रहे और बायें पैर का पंजा दायीं जांघ से सटा रहे। दोनों हाथ स

कुछ खाद्य पदार्थ आपकी डेंटल हेल्थ को बेहतर बना सकते हैं। जबकि कुछ मौखिक स्वास्थ्य के लिए परेशानी पैदा कर सकते हैं, खासकर बच्चों के मामले में। छोटे बच्चों में दांतों की समस्या होने की संभावना अधिक होती है, क्योंकि वे अभी तक सही से अपने दांतों को ब्रश और फ्लॉस करना नहीं सीखे हैं। अच्छी खबर यह है कि यदि आप उन्हें कुछ सबसे खराब खाद्य पदार्थों से दूर रखती हैं, तो उन्हें कई मौखिक स्वास्थ्य समस्याओं से बचाया जा सकता है। यहां हम दांतों (worst foods for teeth) के लिए सबसे खराब 7 फूड्स के बारे में बता रहे हैं।दांतों की खराब स्वच्छता और आहार, जो वयस्कों को भी मसूड़ों की बीमारी के खतरे में डालते हैं, बच्चों के लिए भी एक समस्या है।जानिए आहार कैसे करते हैं बच्चों की ओरल हेल्थ को कैसे प्रभावित कर सकता है,बच्चों के लिए अपने खाने की फेवरिट चीजों से दूर रहना काफी मुश्किल हो सकता है। हालांकि, अनहेल्दी और मीठी चीज़ें खाने से बच्चों को दांतों में समस्याएं हो सकती हैं।मदरहुड हॉस्पिटल, इलेक्ट्रॉनिक सिटी, बेंगलुरु के जेआर, कंसल्टेंट – पीडियाट्रिशियन, डॉ कृष्णा प्रसाद, ने भी हेल्थ शॉट्स को बताया कि अपने बच्चों को दांतों की स्वच्छता बनाए रखना कभी-कभी थोड़ा मुश्किल हो सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि आप जो खाते हैं उसका आपके दांतों के स्वास्थ्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है, और जब आपके बच्चों की बात आती है, तो उन्हें कुछ खाद्य पदार्थों से दूर रखना काफी काम कर सकता है।डॉ प्रसाद के अनुसार, यहां वे फूड्स हैं जो बच्चों की ओरल हेल्थ को प्रभावित1. हार्ड कैंडीजपेपरमिंट्स, सकर कैंडीज और यहां तक ​​कि कफ ड्रॉप्स भी आपके दांतों को नुकसान पहुंचा सकती हैं। इन कैंडीज में शुगर की मात्रा अधिक होती है और ये दांतों की कैविटी में फंस सकती हैं।2. मुंह में चिपकने वाली मीठी चीज़ेंबहुत से बच्चे टॉफी, कैंडी या मिठाइयां खाना पसंद करते हैं जो उनके मुंह में चिपक जाती हैं। इन उत्पादों में चीनी की मात्रा अधिक होती है और ये दांतों की कैविटी में भी चिपक सकते हैं।मीठी चीजों से बच्चों को दूर रखें। चित्र: शटरस्टॉक3. अचारयह आपके पसंदीदा भोजन के साथ स्वादिष्ट लग सकता है, लेकिन ये खट्टे व्यंजन आपके दांतों के लिए अच्छे नहीं हैं। अचार में मौजूद खटास या सिरका दांतों की परत को खराब कर सकता है। मगर, यदि बच्चे अचार खाने के बाद अपने दांत ब्रश करते हैं या कुल्ला करते हैं, तब वे इसका आनंद ले सकते हैं।4. कार्बोनेटेड ड्रिंक्सकार्बोनेटेड ड्रिंक्स कई बच्चों का पसंदीदा ड्रिंक है, लेकिन ये ड्रिंक उनके दांतों के लिए बहुत खराब साबित हो सकते हैं। इसमें एसिड होता है, जो इनेमल परत को मिटा देता है। जबकि कई सोडा ड्रिंक्स में मौजूद बहुत ज्यादा चीनी भी दांतों को नुकसान पहुंचा सकती है।5. प्रोसेस्ड ड्राई फ्रूट्ससूखे मेवे आपके शरीर के लिए स्वस्थ होते हैं, लेकिन कई निर्माता सूखे मेवों को अतिरिक्त मीठा बनाने के लिए उनमें अच्छी मात्रा में चीनी मिलाते हैं। किशमिश जैसे सूखे मेवे चिपकने वाले होते हैं और आसानी से बच्चे के मुंह में फंस सकते हैं।daanton ke liye avoid karein ye foodsअनहेल्दी फूड खाने से दातों में भी समस्या हो सकती है। चित्र: शटरस्टॉक6. टोमेटो सॉस या सोया सॉसटोमेटो सॉस और सोया सॉस का उपयोग बहुत सारे स्वादिष्ट खाद्य पदार्थों में किया जाता है, लेकिन दुर्भाग्य से, वे इनेमल परत पर कठोर हो सकते हैं। यदि आप इसके सेवन को सीमित नहीं करते हैं तो आपके दांत पीले या भूरे हो सकते हैं।7. डिब्बाबंद फलआप डिब्बाबंद फलों की तुलना ताजे फलों से नहीं कर सकते। डिब्बाबंद फलों को अक्सर शक्कर की चाशनी में डुबोया जाता है, और हम सभी जानते हैं कि चीनी हमारे दांतों की सबसे बड़ी दुश्मन है।इसलिए, इन खाद्य पदार्थों को अपने बच्चे के दैनिक आहार में शामिल न करें। अपने बच्चे के मौखिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए उन्हें इन 7 खाद्य पदार्थों का सेवन करवाएं।नट्ससेबगाजरदूध, दही और पनीर जैसे डेयरी उत्पादअंडेहरे पत्ते वाली सब्जियांखरबूजे, नाशपाती और स्ट्रॉबेरीयह भी पढ़ें : http://vnitak.blogspot.com/2022/08/check-this-post-from.html

कुछ खाद्य पदार्थ आपकी डेंटल हेल्थ को बेहतर बना सकते हैं। जबकि कुछ मौखिक स्वास्थ्य के लिए परेशानी पैदा कर सकते हैं, खासकर बच्चों के मामले में। छोटे बच्चों में दांतों की समस्या होने की संभावना अधिक होती है, क्योंकि वे अभी तक सही से अपने दांतों को ब्रश और फ्लॉस करना नहीं सीखे हैं। अच्छी खबर यह है कि यदि आप उन्हें कुछ सबसे खराब खाद्य पदार्थों से दूर रखती हैं, तो उन्हें कई मौखिक स्वास्थ्य समस्याओं से बचाया जा सकता है। यहां हम दांतों (worst foods for teeth) के लिए सबसे खराब 7 फूड्स के बारे में बता रहे हैं। दांतों की खराब स्वच्छता और आहार, जो वयस्कों को भी मसूड़ों की बीमारी के खतरे में डालते हैं, बच्चों के लिए भी एक समस्या है। जानिए आहार कैसे करते हैं बच्चों की ओरल हेल्थ को कैसे प्रभावित कर सकता है , बच्चों के लिए अपने खाने की फेवरिट चीजों से दूर रहना काफी मुश्किल हो सकता है। हालांकि, अनहेल्दी और मीठी चीज़ें खाने से बच्चों को दांतों में समस्याएं हो सकती हैं। मदरहुड हॉस्पिटल, इलेक्ट्रॉनिक सिटी, बेंगलुरु के जेआर, कंसल्टेंट – पीडियाट्रिशियन, डॉ कृष्णा प्रसाद, ने भी हेल्थ शॉट्स को बताय

🌺🌿स्वास्थ्य घरेलू नुस्खे🌿🌺दांतों की हिफ़ाज़त के तीन अनोखे तरीके कौनसे हैं?वर्तमान समय में दाँतों को स्वच्छ रखने के उपायों से इतर उपायों को अनोखे उपाय कहा जा सकता है। अतः इस आलेख में उन उपायों की जानकारी देने का प्रयास है जो वर्तमान समय में प्रचलित नहीं हैं अपितु प्राचीन समय में प्रचलित कुछ उपायों की जानकारी दी जा रही है। By वनिता कासनियां पंजाब सिन्धु घाटी सभ्यता का दन्त-आविध (दाँतों का बरमा)ईसा से भी कम से कम पाँच हजार वर्ष पूर्व सिन्धुघाटी सभ्यता में दाँतों की चिकित्सा के लिए आविध (बरमें) का प्रयोग किया गया। सिन्धु घाटी सभ्यता में मणियों के मोतियों का औद्योगिक स्तर पर निर्माण किया जाता था। यह मणियाँ उनके सबसे बडे निर्यात में थीं। इन मणियों में छेद करने के लिए उन्होंने कमानी लगे आविध (bow-drills) का प्रयोग किया। इन्हीं आविधों का प्रयोग उन्होंने दाँतों में छेद कर उसकी दुखती नसों को नष्ट करने के लिए किया। एक प्रकार से यह आधुनिक रूट कैनाल ट्रीटमेंट का प्रारम्भिक स्वरूप है।मेहरगढ़, पाकिस्तान में मिले इस दाँत में विश्व के प्राचीनतम दन्त-चिकित्सा के प्रमाण मिलते हैं; यह दाँत ईसा के पाँच से सात हजार वर्ष पुराना है। [1](Twitter से)संभवतः इस प्रकार के आविध से दाँतो में छेद किया गया। दाँत के भीतर की नस को प्राचीन काल में कृमि (कीड़ा) माना जाता था; और यह उपचार इस कीड़े को नष्ट करने के लिए किया जाता था।सुमेरियाई दाँत के कीड़ो की दन्तकथाईसा पूर्व तीसरी सहस्राब्दी के सुमेरियाई अभिलेखों में दाँत के कीड़ो का प्रथम उल्लेख मिलता है।"अनु [स्वर्ग बनाया था उसके] के बाद ,स्वर्ग ने बनाया था [पृथ्वी को],पृथ्वी ने नदियाँ बनाई थीं,नदियों ने बनाई थी नहरें,नहरों ने दलदल बनाया था,(और) दलदल ने कीड़ा बनाया था-कीड़ा शम्श के समक्ष रोता हुआ चला गया, उसके आँसू ईए के सामने बह रहे थे: "तू मुझे खाने के लिए क्या देगा? मेरे चूसने के लिए आप मुझे क्या देंगे?""मैं तुम्हें पका हुआ अंजीर, (और) खूबानी दूंगा।""वे पके अंजीर और खुबानी मेरे काम के क्या हैं? मुझे उठाकर दांतों और मसूढ़ों के बीच में रहने दो! मैं दांत का खून चूसूंगा, और मसूड़े की जड़ को कुतरूंगा।"कीड़ों की यह अवधारणा चिकित्सकों में भी लगभग सत्रहवीं शताब्दी तक चिकित्सकों में भी मान्य रही। मेरे बचपन में सुने एक गीत में यह कीड़े कुछ इस प्रकार से घुस गए थे; "मैंने खाई बहुत मिठाई! दाँतों में पड़ गए कीड़े भाई!" ठीक से तो स्मरण नहीं किन्तु इस कविता का अन्त "नहीं खाऊँगा कभी मिठाई" से होता था। किसी को यदि यह स्मरण हो तो अवश्य साझा करें; हमारे बालगीत भी सहेजने योग्य हैं।मिश्र के ताम्र-दन्त-सेतुबन्धनप्राचीन मिस्रवासियों के लिए बहुत अच्छे आहार की विलासिता उपलब्ध नहीं थी और वे फलों और सब्जियों के साथ-साथ मेदयुक्त (स्टार्च वाली) रोटियों पर निर्भर थे। शोधकर्ताओं ने मिस्र ममियों के दांतों का अध्ययन कर जाना कि अधिक सख्त मोटे अनाजों के आहार से उनके दाँतों में बहुत अधिक टूट-फूट है।ढीले पड़े मसूढ़ों के उपचार के लिए मिस्रवासी मधु (शहद) और जौ के मिश्रण का प्रयोग करते थे।(चित्र स्रोत : The practice of dentistry in ancient Egypt (Research Gate))ताम्र-युग में उन्होंने ताम्बे के तारों से अपने दाँतों को बाँध कर अपनी बत्तीसी को भोजन कर पाने योग्य रखा। यह दन्त-सेतुबन्धन आधुनिक डेंटल ब्रिज के प्रारूप कहे जा सकते हैं। ज्ञात अभिलेखों के अनुसार मिस्र में ही दन्त-चिकित्सा एक विशिष्ट व्यवसाय के रूप में विकसित हुई। [2]क्विबेल (Quibell) द्वारा सक्कारा में १९१३ में किये उत्खनन में मिला हसी-रे का वर्णन करता अभिलेख (चित्र स्रोत : Figure 1: Hesyre.) लगभग ईसा पूर्व २६६० के हसी-रे (Hesy-Re) को विश्व का पहला दन्त-चिकित्सक माना जाता है।[3]मिस्र वासी सेंधा नमक, पुदीना, ओर्रिस (Orris) के जड़ और काली मिर्च, इन सभी को फिर कूटकर पिष्टी बनाते थे। इसे विश्व का प्राचीनतम टूथपेस्ट कह सकते हैं। [4]यह सातवीं शताब्दी ईसा पूर्व के दन्त-सेतुबन्ध एत्रुस्कॉन Etruscan सभ्यता के हैं। जो ताम्बे के पट्टी का प्रयोग कर दाँतों को बत्तीसी के रूप में संजो कर रखते हैंशिवाम्बु द्वारा रोमन दन्त सुरक्षारोमन सभ्यता के अस्थि-अवशेषों के अवलोकन और परीक्षण से यह स्पष्ट होता है कि उनके दाँत वर्तमान यूरोपियन लोगों के दांतों से अधिक स्वस्थ थे। इसके कारणों में कुछ उनका शर्करा का न्यूनतम प्रयोग करना मुख्य है। दाँतों पर जमने वाली मैल (dental plaque) को हटाने के लिए वे भिन्न प्रकार के दातुन (brush) तथा कुरकुरे अपघर्षक मञ्जन (abrasive powder) का प्रयोग करते थे। "क्या आपके दन्तमञ्जन में कोयला है?" यह विज्ञापन अपघर्षक मञ्जन की उपयोगिता को भलीभाँति दर्शाता है। किन्तु रोमन सभ्यता के उत्तम दन्त-स्वास्थ्य का सबसे अनोखा उपाय था मूत्र। रोमन सभ्यता के शुल्कमुक्त सार्वजनिक मूत्रालय इस महत्वपूर्ण द्रव्य को उपलब्ध करने में योगदान करते थे। रोमन वस्त्रों से लेकर दन्त-मञ्जरी की शुभ्रता का महत्वपूर्ण कारक मूत्र ही था। मूत्र से कुल्ला करने से मूत्र में उपस्थित अमोनिया उनके दाँतों के मैल को हटाने में सहायक थी। भारत के एक पूर्व प्रधानमन्त्री मोरारजी देसाई यूँ ही शिवाम्बु पान नहीं करते थे। (टिप्पणी — शिवाम्बु का अर्थ शिव - शुभ, सुन्दर; अम्बु - पानी, जल है; शिव का प्रतीक लिङ्ग है; उसी प्रताप से, मेरा तात्पर्य है उसी के प्रपात से स्रोत किया जल शिवाम्बु है।)Frederick Joss का बनाया यह कार्टून मोरारजी भाई की उज्ज्वल धवल दन्त-पंक्तियों को साकार कर देता है।वैसे रोमन लोगों में भी कुछ अति-समृद्ध थे और नियमित रूप से अधिक शर्करायुक्त भोजन कर पाने में समर्थ भी; इनमें से कुछ अपने लिए महँगी धातुओं के दाँत भी लगवाते थे।(चित्र स्रोत : Terrifying Ancient Dental Practices Roman denture, c 400 BC)अण्डो के अथवा सिप्पियों के खोल के चूर्ण की मधु में पिष्टी बनाकर रोमन सभ्यता में इसका दन्त-मञ्जन के रूप में प्रयोग किया जाता था।दन्त-सुरक्षा में कुछ अन्य मत्वपूर्ण उपलब्धियाँ यह हैं [5] :—ईसा पूर्व १७५० : मेसोपोटामिया हम्मुराबी की प्रसिद्ध संहिता के २००वें अनुच्छेद में कहा गया है कि यदि कोई अपने समान सामाजिक स्तर के व्यक्ति का दांत तोड़ता है, तो उसका भी दांत तोड़ दो।ईसा पूर्व ५०० : भारत और चीन में दन्त-पिष्टी (टूथपेस्ट) का वर्णनलगभग ईसा पूर्व ४५० : भारत में दन्तरोगों के सबसे बड़े कारक शर्करा के (गन्ने के रस के परिशोधन से) निर्माण की विधि विकसित की गई।६०० ईस्वी : वाग्भट मुख तथा दाँतो के रोगों की विवेचना तथा उपचार के विषय में लिखते हैं; तथा आहार के दाँतो में चिपकने तथा सड़ने को दाँतो में छेद होने का कारन बताते है। [6]१२८० ईस्वी : चीन में चिकित्सा को दंत चिकित्सा सहित १३ विशिष्ट विभागों में विभाजन किया गया।१४९८ ईस्वी : विश्व में पहली बार ब्रिसल्स वाले पहले टूथब्रश का चीन में वर्णन किया गया।सोलहवीं शताब्दी : कैरेबिआई देशों (वेस्ट इंडीज़, कैनरी द्वीपसमूहों आदि में) बड़े स्तर पर गन्ने की कृषि का सूत्रपात। शर्करा खरीद पाने और खाने का सामर्थ्य रखने वाले यूरोपी भद्रलोगों के दांतों का सड़ना आरम्भ। एलिज़ाबेथ प्रथम के दाँत तो सड़कर काले हो गए थे। उनके दांतों के अन्तर को १५९७ से १६०३ के बीच सुधारा गया; जिससे वे सार्वजनिक दर्शन में सुन्दर लग सकें। इसी बात से दरबारियों तथा अन्य गणमान्य व्यक्तियों में सड़कर काले हुए दाँतों को दिखाने का प्रचलन बना। अनेक व्यक्ति अपने दाँतो को रंगकर काला करने लगे; जिससे लोग यह समझें कि वे इतने समर्थ हैं कि शक्कर का भरपूर प्रयोग कर सकते हैं।जब एलिज़ाबेथ ६५ वर्ष की थी तब इंग्लैंड आये एक जर्मन यात्री पॉल हेटज़नेर (Paul Hentzner) ने उनके बारे में लिखा कि :Her face is oblong, fair but wrinkled; her eyes small, yet black and pleasant; her nose a little hooked, her teeth black (a fault the English seem to suffer from because of their great use of sugar); she wore false, and that red.[7]उनका चेहरा तिरछा, गोरा किन्तु झुर्रियों वाला है; उनकी आँखें छोटी, फिर भी काली और सुन्दर; उनकी नाक थोड़ी झुकी हुई और दाँत काले थे (एक दंड अंग्रेजों को शक्कर के अधिक उपयोग के कारण भुगतना पड़ता है); वह नकली (बाल) पहने थी, और वह लाल थे।१५७५ ईस्वी : फ्रांसीसी एम्ब्रॉय पारे (Ambroise Paré) दन्त-चिकित्सा सहीह अनेक अन्य शल्य-चिकित्साओं के बारे में लिखते हैं। वे आधुनिक शल्य-चिकित्सा के जनक माने जाते हैं।१६८७ ईस्वी : फ्रांस के राजा चौदहवें लुई की ऊपरी दाढ़ निकालने के क्रम में उनका जबड़ा टूट जाता है। शेष जीवन वे बिना किसी दाँतों के व्यतीत करते हैं। यह दुर्घटना दाँतों तथा सामान्य शल्य-चिकित्सा के विकास जो गतिमान करती है। [8]१७२८ : फ़्रांस में पियरे फौकॉर्ड (Pierre Fauchard) आधुनिक दन्त-चिकित्सा की नीँव रखते हैं।१७४६ : फ़्रांस के क्लाउड माउटन ने रूट कैनाल उपचार के उपरान्त दाँत को सोने के आवरण से मढ़ देते हैं।१७५६ : जर्मन फिलिप पफैफ, प्रशिया के राजा फेडेरिको द्वितीय के दंत चिकित्सक, मोम और प्लास्टर के उपयोग कर दाँतों की छाप लेते हैं। यह उचित आकर के कृत्रिम दाँतों के निर्माण में सहायक है।१७६८ : थॉमस बर्डमोर शक्कर एवं अन्य मीठी चीजें खाने और दांतों की सड़न के बीच स्पष्ट संबंध को इंगित करते हैं।१७७६ : जोसेफ प्रीस्टली ने नाइट्रस ऑक्साइड का संश्लेषण किया, जिसे पहले लाफिंग गैस के रूप में जाना जाता था। इसका प्रयोग कर दन्त शल्य-चिकित्सा में रोगियों को राहत देता है।१७९१ : फ़्रांसिसी निकोलस दुबोइस दे चेमंत (Nicolas Dubois de Chemant) सिरेमिक के दाँत पेटेंट करवाते हैं।१७९५ : सैमुएल थॉमस फॉन सुम्मेरिंग (Samuel Thomas von Soemmering) मुख के कैंसर का धूम्रपान से सम्बन्ध होने का विवरण देते हैं।१८८४ : ऑस्ट्रिया में पहली बार दन्त-चिकित्सक कार्ल कोल्ले (Carl Kolle) ने कोकीन का स्थानीय चेतनशून्यक के रूप में प्रयोग किया।१८९८ : संयुक्त राज्य अमेरिका में जॉनसन एंड जॉनसन डेंटल फ्लॉस का पेटेंट करवाती है।दाँतों को सुरक्षित रखना है तो मीठा कम खाइए; कुछ खाने पीने के उपरान्त उँगली से दाँतों का मञ्जन कर मुख-प्रक्षालन (कुल्ला) करें। रात्रि सोने से पूर्व दाँतों को अवश्य साफ करें। प्रातः पुनः यही करें। दाँतों के बीच कुछ न फँसा रहने दें।वैसे दाँतों की सर्वोत्तम सुरक्षा मितभाषी होने में है; भाषा संयमित रखें तो कोई भी आपको मुँहतोड़ प्रत्युत्तर नहीं देगा।इस प्रकार के अन्य रोचक उत्तर आप मेरे मञ्च विज्ञान का दर्शन तथा गणितीय दर्शन पर देख सकते हैं।© अरविन्द व्यास, सर्वाधिकार सुरक्षित।इस आलेख को उद्धृत करते हुए इस लेख के लिंक का भी विवरण दें। इस आलेख को कॉपीराइट सूचना के साथ यथावत साझा करने की अनुमति है। कृपया इसे ऐसे स्थान पर साझा न करें जहाँ इसे देखने के लिए शुल्क देना पडे।फुटनोट बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम

🌺🌿स्वास्थ्य घरेलू नुस्खे🌿🌺 दांतों की हिफ़ाज़त के तीन अनोखे तरीके कौनसे हैं? वर्तमान समय में दाँतों को स्वच्छ रखने के उपायों से इतर उपायों को अनोखे उपाय कहा जा सकता है। अतः इस आलेख में उन उपायों की जानकारी देने का प्रयास है जो वर्तमान समय में प्रचलित नहीं हैं अपितु प्राचीन समय में प्रचलित कुछ उपायों की जानकारी दी जा रही है। By वनिता कासनियां पंजाब   सिन्धु घाटी सभ्यता का दन्त-आविध (दाँतों का बरमा) ईसा से भी कम से कम पाँच हजार वर्ष पूर्व सिन्धुघाटी सभ्यता में दाँतों की चिकित्सा के लिए आविध (बरमें) का प्रयोग किया गया। सिन्धु घाटी सभ्यता में मणियों के मोतियों का औद्योगिक स्तर पर निर्माण किया जाता था। यह मणियाँ उनके सबसे बडे निर्यात में थीं। इन मणियों में छेद करने के लिए उन्होंने कमानी लगे आविध (bow-drills) का प्रयोग किया। इन्हीं आविधों का प्रयोग उन्होंने दाँतों में छेद कर उसकी दुखती नसों को नष्ट करने के लिए किया। एक प्रकार से यह आधुनिक रूट कैनाल ट्रीटमेंट का प्रारम्भिक स्वरूप है। मेहरगढ़, पाकिस्तान में मिले इस दाँत में विश्व के प्राचीनतम दन्त-चिकित्सा के प्रमाण मिलते हैं; यह दाँत ईसा के