इजरायल और फलिस्तीन के बीच विवाद की जड़:
इजरायल और फलिस्तीन के बीच विवाद की मुख्य जड़ है येरुशलम और दूूसरी मुख्य वजह है यहूदियों के अस्तित्व की लड़ाई। येरुशलम जगह 35 एकड़ में फैली है और ईसाई, यहूदी और मुस्लिम तीनों के लिए ये जगह एक पवित्र स्थान है।
यहूदियों के लिए:
मुस्लिम मान्यता:
ईसाई मान्यता:
युद्ध की वजह:
कुछ लोग इसराइल की फलिस्तीन के खिलाफ इस जंग को इस्लाम के खिलाफ मानते हैं, लेकिन उससे कहीं ज्यादा यह जंग जगह और पहचान बनाने के लिए लड़ी जा रही है.
साल 1948 में संयुक्त राष्ट्र के हस्तेक्षप के बाद इजरायल और फिलिस्तीन दो देश बने. साल 1948 में हुए इस बंटवारे में साढ़े छः लाख यहूदी इजरायल में और करीब तेरह लाख मुसलमान फिलिस्तीन में चले गए.
जब हुआ पहला अरब-इजराइल युद्ध-
साल 1948 में अरब देशों मिस्र, जॉर्डन, इराक और सीरिया ने इजरायल पर हमला कर दिया. यह हमला फिलिस्तीन को बचाने के लिए नहीं, बल्कि इजरायल के खात्मे के लिए था. दरअसल अरब देश यह मानते थे कि इजरायल विदेशी राज का एक नमूना है. अरब देश इस लड़ाई में हार गए.
इस लड़ाई में आधा जेरुशलम शहर इजरायल के कब्जे में आ गया और फिलिस्तीनी नागरिक सिर्फ वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी तक ही सीमित रह गए. इस युद्ध के दौरान लगभग 7 लाख से ज्यादा अरब फिलिस्तीनी बेघर हो गए.
6 दिन का प्रसिद्ध युद्ध :
साल 1967 में दूसरी बार इजरायल और अरब देशों के बीच युद्ध हुआ. यह युद्ध छः दिन चला और इजरायल फिर से जीत गया. इस बार इजरायल ने फिलिस्तीन की दो जगहें वेस्ट बैंक और गाजा दोनों पर अपना कब्ज़ा कर लिया. इसके बाद अगले 20 सालों तक अरब देशों को यह यकीन हो गया, कि इजरायल को अब हरा पाना बहुत मुश्किल है. इस तरह इजरायल दुनिया का पहला यहूदी देश बन गया.
20 साल तक युद्ध विराम के बाद, एक बार फिर इजराइल और फिलिस्तीन के बीच झगड़ा शुरू हुआ, लेकिन इस बार अरब देशों ने फिलिस्तीन का साथ नहीं दिया.
पहले इजरायल दुनिया में अपने अस्तित्व बचाने के लिए लड़ रहा था लेकिन इस बार फिलिस्तीन वेस्ट बैंक और गाज़ा पट्टी में अपने खोये हुए अस्तित्व को बचाने के लिए लड़ रहा था.
तब से लेकर आज तक इन दोनों देशों के बीच यह विवाद का प्रमुख मुद्दा बना हुआ है. 90 के दशक में इन दोनों देशों के बीच एक समझौता हुआ, लेकिन इस समझौते के लिए फिलिस्तीन तैयार नहीं हुआ, क्योंकि वह इजरायल को एक देश नहीं मानता.
क्या भारत को इजरायल का साथ देना चाहिए:
क्या हम कभी इसराइल की तरह अपने दुश्मनों से निपट सकते हैं:
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